चाणक्य नीति में कहा गया है कि धन की चाहत तो हर किसी को होती है। आचार्य चाणक्य ने माता लक्ष्मी को धन की देवी बताया है। उनका कहना है कि जिस किसी पर भी लक्ष्मी जी की कृपा होती है उसे कभी भी धन समस्या नहीं आती है। उसका जीवन सुख-समृद्धि से भरा रहता है। मान सम्मान भी बढ़ने लगता है लेकिन कई बार धन आने पर व्यक्ति अहंकारी हो जाता है और उसका स्वभाव बदल जाता है।
आचार्य चाणक्य के नीति ग्रंथ में कहा गया है कि धन आने पर मनुष्य को सतर्क हो जाना चाहिए और कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। वे कहते हैं कि मां लक्ष्मी जी का स्वभाव चंचल हैऔर वे एक जगह पर नहीं टिकती हैं इसलिए जो लोग इन ख़ास बातों का ध्यान नहीं रखते हैं, लक्ष्मी जी उससे रूठ जाती हैं और उसे छोड़कर चली जाती हैं।
चाणक्य कहते हैं कि जो लोग पद और प्रतिष्ठा का लाभ उठाकर कमजोर व्यक्तियों को सताते हैं, उनका अपमान करते हैं, उनके हक छीनने लगते हैं। ऐसे लोगों को लक्ष्मी जी कतई पसंद नहीं करती हैं। वे उन्हें छोड़कर चली जाती हैं। साथ ही ऐसे व्यक्ति को आगे चलकर कष्ट-अपयश ही मिलता है।