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प्रकृति का नियम है कि जिसने जन्म लिया है उसकी उसकी मृत्यु भी होगी। जीवन काल में व्यक्ति अपने कर्मों का अच्छा-बुरा परिणाम जरूर भुगतता है। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ में कई नीतियों का वर्णन किया है जिनका पालन करने से मनुष्य को कभी भी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ेगा। चाणक्य कहते हैं कि जिंदगी में व्यक्ति के कई मित्र बनते हैं लेकिन कुछ ऐसे साथी होते हैं जो मरते दम तक साथ निभाते हैं। चाणक्य कहते हैं कि कितनी ही कठिन परिस्थिति क्यों न हो ये तीन साथी हमेशा व्यक्ति के साथ रहते हैं और उन्हें मुश्किल से निकलने से मदद करते हैं।

विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्र गृहेषु च।

व्याधितस्यौषधं मित्र धर्मो मित्रं मृतस्य।।

ज्ञान

आचार्य चाणक्य ने अपने एक श्लोक में बताया है कि जिस व्यक्ति के पास ज्ञान का हथियार होता है वह किसी भी हालात में खुद को अकेला नहीं पाता। विद्या से बड़ा कोई मित्र नहीं। जिसके पास विद्या होती है विपरित परिस्थितियों में भी अपने ज्ञान और बुद्धि पर बाहर निकल आता है। चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान जहां से मिले उसे अर्जित कर लेना चाहिए।

औषधि

औषधि ही के ऐसी चीज है को बीमारी सेव्यक्ति को बीमारी से मक्ति दिलाती है। एक सच्चे मित्र की भांति औषधि व्यक्ति को गंभीर रोग से निजात दिलाने में कारगर होती है। दवा साथ नहीं रहेगी तो मनुष्य का स्वस्थ होना भी मुश्किल होगा। मृत्यु तक दवाई पूर्ण रूप से व्यक्ति का साथ देती है। औषधि की बदोलत ही इंसान का शरीर स्वस्थ रहता है।

धर्म

धर्म मनुष्य का सच्चा साथी होता है। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा धर्म को धन से ऊपर रखना चाहिए। धर्म सिर्फ जीते जी ही नहीं बल्कि मृत्यु के बाद भी व्यक्ति का साथ रहता है। धर्म इंसान को सदैव सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। धर्म-कर्म की वजह से मनुष्य को मरने के बाद भी दुनिया में याद किया जाता है। चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति पुण्य का काम करते हैं वो मृत्यु के बाद भी लोगों के दिलों में रहते हैं।

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