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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ में कुशल जीवन के लिए कई नीतियों (Chanakya Niti) का वर्णन किया है जिनका अनुसरण कर कोई भी व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है। इंसान के जीवन में कई ऐसे लोग होते हैं जो उसके बेहद करीब होते हैं। ये हमारे सुख-दुख को अपना समझते और साए की तरह हर वक्त साथ रहते हैं, लेकिन जाने अनजाने में हम कई बार उन्हीं का दिल दुखा देते हैं। चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ने ऐसे दो लोगों का जिक्र किया है जिनसे कभी जबान नहीं लड़ानी चाहिए, वरना जीवनभर पछताना पड़ता है। आइए जानते हैं वे दो लोग कौन है जिन्हें कभी भी अपशब्द नहीं बोलना चाहिए।

चाणक्य कहते हैं कि वाणी ऐसी चीज है जो रिश्ते बिगाड़ भी सकती है और बना भी सकती है। वे कहते हैं कि किसी भी इंसान को कभी भी अपने माता पिता से अपशब्द नहीं बोलना चाहिए। वे कहते हैं जिसने तुम्हें पाल पोस के बड़ा किया हो, बोलना सिखाया हो उनके लिए बुरे शब्दों का इस्तेमाल करने का अर्थ है पाप के भागी बनना। ये ऐसी गलती है जिसे भगवान भी माफ़ नहीं करते हैं। (Chanakya Niti)

बोलने से पहले अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए

वे कहते हैं कि माता-पिता का स्थान हमारे जीवन में सर्वोपरि है। पैरेंट्स को कुछ भी बोलने से पहले अपनी वाणी पर नियंत्रण जरूर रखना चाहिए। चाणक्य ने बताया है कि जिस तरह तीधनुष से निकला हुआ बाण वापस नहीं लौटता है उसी तरह से जुबान से निकले शब्द भी कभी वापस नहीं लिए जा सकते। कई बार गुस्से में व्यक्ति पैरेंट्स के प्रति गलत बोले देता है लेकिन जब क्रोध शांत होता है तो उसे पछतावा होता है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। वे कहते हैं कि माता पिता अपनी बच्चे की खुशी के लिए पूरी जिदंगी झोंक देते हैं। खुद तकलीफ में रहते हैं लेकिनबच्चे को सारी सु‌विधा प्रदान करते हैं। ऐसे में हमारा एक गलत शब्द उनके दिल को ठेस पहुंचाते हैं। वे कहते हैं कि बच्चों को माता पिता के सामने वाणी पर बेहद नियंत्रण रखना चाहिए।(Chanakya Niti)

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