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इसरो ने ट्विटर के माध्यम से बताया है कि प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाल दिया गया है और 22 सितंबर को फिर से इसे शुरू करने की कोशिश की जाएगी। इसी के साथ लोगों के मन में तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। पहले मीडिया रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि चांद पर रात चार या 5 सितंबर तक होगी और अगला सवेरा 19 या 20 सितंबर तक होगा। लेकिन अब इसरो ने 2 सितंबर को ही रोवर को स्लीप मोड में डाल दिया और दुबारा एक्टिव भी 22 सितंबर को किया जाएगा। आखिर इतने दिन का गैप क्यों?

हालांकि इसरो की एक पोस्ट में ये साफ लिखा है कि रोवर ने चांद पर अपना असाइनमेंट पूरा कर लिया है। ये पोस्ट तब किया गया जब कुछ ही वक्त पहले इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने मीडिया के सामने बताया था कि रोवर और लैंडर ठीक तरह से काम कर रहे हैं। इसके बाद इसरो ने ये पोस्ट भेजी। 

जल्दी स्लीप मोड क्यों, जानें

इसमें ये साफ लिखा गया है कि ए पी एस और एल बी एस पेलोड बंद हैं। इन पेलोड के माध्यम से डेटा लैंडर से पृथ्वी पर भेजा जाता था। अब ये पूछे जाने पर कि लैंडर और रोवर 14 दिन का काम करने के लिए डिजाइन किए गए थे तो जल्दी स्लीप मोड में क्यों भेज दिए गए। चंद्रयान तीन के परियोजना निदेशक पी वी मुथुवेल ने जवाब दिया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा है कि हम पहले दो और आखिरी दो दिन नहीं गिन सकते। चंद्र दिवस 22 अगस्त को शुरू हुआ था और हमारी लैंडिंग लगभग दूसरे दिन के आखिर में थी। वहां से विक्रम और प्रज्ञान दोनों ने हमारी उम्मीदों से बढ़कर अच्छा प्रदर्शन किया। मिशन के सभी उद्देश्य पूरे हो गए हैं, इसलिए इसे स्लीप मोड में डाला गया है। इस समय रोवर पूरी तरह से एक्टिवेट है और जब दुबारा सवेरा होगा तो इसे फिर से काम करने में सहूलियत होगी। 

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