
नई दिल्ली ।। वैसे तो सरकार ने CORONA से जनता को बचाने के लिए लॉकडाइन का ऐलान किया। तो वहीं दूसरी ओर जो रोज दिहाड़ी से अपना पेट पालते है उनके लिए विकल्प सामने नहीं आया। हफ्ते दस दिन का मसला होता तो भी ठीक था पर अब 21 दिन और गुजराना है ऐसे में इनके लिए बेकअप प्लान भी जरूरी है।
विशेष कर ग्रामीण मजदूर तबके के लिए अभी तक कोई विकल्प सामने नहीं आया है। इस वर्ग के लिए ध्यान दिया जाना जरूरी है। अभी तक सरकार की ओर से जो घोषणा इस वर्ग के लिए हुई है। उसे मूर्तरूप में किस तरह लागू किया जावेगा यह भी बडा़ सवाल है क्योंकि शहर और गांव दोनों ही स्तर पर यह बड़ा तबका है।
लॉकडाउन ने सभी मजदूरी की कमर तोड़ दी है। किसी तरह मशक्कत करके वे अपना खर्चा उठाते थे, लेकिन लॉकडाउन की मार ने उनका वो सहारा भी छीन लिया। अब जब घर ही नहीं रहा तो लक्ष्मण रेखा कैसी। यही सोच अब अधिकतर मजदूरों की है। बस उनका केवल एक ही लक्ष्य है अपनों तक पहुंचना। घर जाने के लिए न तो उन्हें कोई बस मिल रही है, न ही कोई अन्य साधन। ऐसे में मीलों का सफर वे पैदल ही तय करने को मजबूर हैं।
एक मजूदर ने अपने दर्द को बयां करते हुआ बताया कि वे दिल्ली में मजदूरी के सिलसिले में रह रहे थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनकी रोजी-रोटी छिन गई है। वे अपने घर लौटना चाहते हैं, लेकिन कोई साधन न मिल रहा। ऐसे में उन्होंने अपने रिक्शे पर परिवार के 5 अन्य लोगों को बिठकार घर के लिए रवाना हो गए।