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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में एक पुराने राजनीतिक मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। 80 के दशक में बिजली कटौती को लेकर हुए एक आंदोलन का मामला अब घोसी विधानसभा क्षेत्र के सपा विधायक सुधाकर सिंह के लिए कानूनी मुसीबत बन गया है। दिलचस्प बात यह है कि अदालत ने उन्हें फरार घोषित कर रखा है, बावजूद इसके वह अपने क्षेत्र में पूरी सक्रियता से सियासत कर रहे हैं।

दरअसल, साल 1986 में सुधाकर सिंह, जो उस समय छात्र नेता के तौर पर सक्रिय थे, ने विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर 400 केवी सब-स्टेशन पर प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। इस प्रदर्शन के दौरान कथित तोड़फोड़ और शासकीय कार्य में अवरोध उत्पन्न होने के आरोप में दोहरीघाट थाने में उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। कुछ समय तक यह मामला आजमगढ़ जिला अदालत में चला, लेकिन जब 1989 में मऊ को जिला घोषित किया गया तो केस की पत्रावली मऊ कोर्ट भेज दी गई।

जानें अगली सुनवाई कब

विधायक सुधाकर सिंह को शुरुआती दौर में इस केस में जमानत भी मिल गई थी। मगर मामला तकनीकी पेच में उलझता चला गया। बीते साल 25 जुलाई 2023 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें गैरहाजिर मानते हुए फरार घोषित कर दिया। इस फैसले को चुनौती देते हुए सुधाकर सिंह ने 4 जून 2024 को जिला जज के समक्ष निगरानी याचिका दाखिल की है। अब इस याचिका पर सुनवाई 10 जुलाई को होने वाली है।

विधायक के अधिवक्ता वीरेंद्र बहादुर पाल के मुताबिक, सुधाकर सिंह इस केस में लगातार अदालत में पेश होते रहे हैं। वकील का दावा है कि इस लंबे अरसे में न तो उन्हें कोई नया समन मिला, न ही वारंट तामील हुआ। लेकिन 2023 में अदालत ने यह मानते हुए कि उनकी उपस्थिति संभव नहीं है, फरारी का आदेश जारी कर दिया। वकील का कहना है कि पत्रावली के ट्रांसफर होने से बहस अधूरी रह गई थी, अब वह प्रक्रिया फिर से आगे बढ़ेगी।

वहीं दूसरी ओर, इस मामले में सरकारी पक्ष की दलील कुछ अलग है। अपर शासकीय अधिवक्ता राजेश पांडे ने बताया कि पहले से ही अदालत ने विधायक के खिलाफ आदेश पारित किया था, जिसकी निगरानी याचिका एमपी-एमएलए कोर्ट में लंबित है। 10 जुलाई को इस पर सुनवाई सुनिश्चित की गई है। इसके साथ ही विधायक ने कोर्ट के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में दो हजार रुपये का अर्थदंड भी जमा कर दिया है।

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