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Up Kiran, Digital Desk: तेज़ी से फैल रहे कोरोना वायरस ने लोगों के मन में डर का माहौल बना दिया है। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। कई देशों ने कोरोना के भयानक संकट का सामना किया है। लाखों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। साथ ही, लाखों लोगों की जान भी जा चुकी है। कई लोग कोरोना को मात दे चुके हैं। इस बीच, अब कोरोना महामारी को लेकर नई जानकारी सामने आई है। एक शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
नॉटिंघम विश्वविद्यालय के एक नए शोध में पाया गया है कि कोरोना वायरस का दिमाग पर भयानक प्रभाव पड़ता है। कोरोना महामारी के दौरान रहने वाले लोगों का दिमाग जल्दी बूढ़ा हो सकता है। अगर लोग वायरस से संक्रमित नहीं भी हुए हैं, तो भी उनके दिमाग पर यह प्रभाव देखा जा रहा है। यह शोध 22 जुलाई को नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। यह शोध यूके बायोबैंक स्टडी के आंकड़ों पर आधारित है।
कोरोना महामारी से पहले और बाद में लगभग 1,000 स्वस्थ लोगों के दिमाग का स्कैन किया गया। इन स्कैन के अनुसार, शोधकर्ताओं को मस्तिष्क में, खासकर बुजुर्गों, पुरुषों और कुछ लोगों में उम्र बढ़ने के लक्षण मिले। इन नमूनों में यह बात सामने आई कि कोरोना से संक्रमित लोगों में सोचने की क्षमता कम हो गई थी।
सभी व्यक्तियों के स्कैन की समीक्षा से पता चला कि कोरोना महामारी के तनाव के कारण उनके मस्तिष्क की संरचना में बदलाव आया था। शोधकर्ताओं के अनुसार, ये बदलाव 'आंशिक रूप से प्रतिवर्ती' हो सकते हैं। हालाँकि, शोध में सबसे महत्वपूर्ण बात यह उजागर हुई कि कोरोना महामारी की अनिश्चितता और एकांतवास का मस्तिष्क स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। इससे यह भी पता चला कि हमारा पर्यावरण हमारे मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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