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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीज़ा आवेदन पर $100,000 की एकमुश्त फीस लगाने के आदेश पर दस्तखत करने के बाद भारतीय समुदाय में हलचल मच गई है। इस निर्णय से हजारों भारतीय तकनीकी पेशेवरों का भविष्य प्रभावित हो सकता है, जिनमें से 70% से अधिक H1B वीज़ा धारक भारतीय हैं।

भारतीय दूतावास ने जारी किया आपातकालीन नंबर

अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए एक आपातकालीन सहायता नंबर जारी किया है।

"भारतीय नागरिक जो आपातकालीन सहायता चाहते हैं, वे मोबाइल नंबर +1-202-550-9931 (व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध) पर संपर्क कर सकते हैं," दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा।
यह नंबर केवल आपात स्थिति के लिए है, नियमित वीज़ा या कांसुलर पूछताछ के लिए नहीं।

$100,000 शुल्क से क्यों है हड़कंप?

यह नया शुल्क केवल नई H-1B याचिकाओं पर लागू होगा, न कि पहले से स्वीकृत या वर्तमान वीज़ा धारकों पर।
यूएससीआईएस के निदेशक जोसेफ एडलो ने स्पष्ट किया कि:

यह वार्षिक शुल्क नहीं, बल्कि एक बार का भुगतान है

पहले से दायर याचिकाओं पर यह लागू नहीं होगा

नवीनीकरण और वर्तमान धारकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने भी इस गलतफहमी को दूर किया कि यह फीस हर साल देनी होगी।

भारतीय IT सेक्टर में चिंता

भारतीय आईटी कंपनियां, जो हर साल हज़ारों तकनीकी विशेषज्ञों को अमेरिका भेजती हैं, अब इस फैसले के प्रभावों की समीक्षा कर रही हैं।
भारत सरकार ने अमेरिका स्थित सभी मिशनों को निर्देश दिए हैं कि वे अगले 24 घंटों में यात्रा करने वाले भारतीय नागरिकों को हरसंभव सहायता दें।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा:

“भारत और अमेरिका दोनों नवाचार व रचनात्मकता में रुचि रखते हैं। हमें विश्वास है कि दोनों देश मिलकर आगे का रास्ता खोजेंगे।”

H-1B वीज़ा की हकीकत

H-1B एक गैर-आप्रवासी वीज़ा है

हर साल 65,000 वीज़ा सामान्य श्रेणी में और 20,000 अमेरिका में मास्टर्स डिग्री वालों को मिलते हैं

वर्तमान फीस लगभग $2,000-$5,000 के बीच है

अब ट्रंप की नई नीति के तहत यह फीस अचानक $100,000 तक पहुंच सकती है, जिससे कंपनियों की भर्ती प्रक्रिया और भारतीय प्रोफेशनल्स की अमेरिका में भविष्य की योजना पर असर पड़ना तय है।