नई दिल्ली ।। आपको अपने आस पास बहुत से किन्नर मिल ही जाएंगे। कहीं ट्रेनों पर तो
कहीं रोड पर ही गाते बजाते व मांगते हुए। किन्नरों को कोई नौकरी नहीं देता है इस वजह ये
ज्यादातर मांग कर ही गुजारा करते है।
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ऐसी माना जाता है कि किन्नरों की बद्दुआ कभी नहीं लेनी चाहिए वरना वो जरूर सच हो
जाती है। किन्नरों में आधे गुण पुरुष के एवं आधे गुण महिलाओं के होते है, जो समाज से
इनको अलग करते है।
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आपके अंदर एक बात तो अवश्य आती होगी कि आखिर किन्नर पैदा कैसे होते है। मेडिकल
साइंस के मुताबिक, जब महिला गर्भवती होती है तो 3 महिने के बाद शिशु का विकास होना
शुरु हो जाता है। इसी बीच अगर मां को कोई बीमारी या समस्या हो जाती है, तो गर्भ में
हार्मोंन्स की समस्या की वजह से शिशु के अंदर महिला एवं पुरुष दोनों के ऑर्गन्स आ जातें
है।
गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती मां कोई दवा खा ले और वो नुकसान कर जाए तो शिशु
किन्नर हो सकता है। अगर गर्भ के समय तबियत खराब हो जाएं या उसको तेज बुखार आ
जाए एवं दवा का हार्ड डोज मां ले ले तो बच्चे के किन्नर पैदा होने की संभावना बढ़ जाती
है।
यदि महिला गर्भावस्था के 3 महीने के अंदर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाए तो बच्चे के
किन्नर बनने के चांस अधिक बढ़ जाते है। एक कारण यह भी है कि अगर कोई महिला गर्भ
धारण करने के बाद बिना किसी डॉक्टर के सलाह के गर्भपात करने की दवा खाती है, तो ऐसे
मौके पर बच्चे के किन्नर बनने के चांस बढ़ जाते है।
फोटोः फाइल
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