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fake cardiologist: मध्य प्रदेश के दमोह जनपद से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। एक निजी अस्पताल में नकली डॉक्टर द्वारा किए गए ऑपरेशनों के बाद सात मरीजों की मौत का दावा किया जा रहा है। इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को हिलाकर रख दिया बल्कि सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनलों तक हड़कंप मचा दिया।

आरोपी का नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव बताया जा रहा है। उसने खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर अस्पताल में नौकरी हासिल की थी। लेकिन जब सच सामने आया, तो पता चला कि यह शख्स न तो डॉक्टर था और न ही उसके पास कोई मेडिकल डिग्री थी। तो आखिर यह सब हुआ कैसे? आईये जानते हैं-

नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने अपनी चालाकी से सबको बेवकूफ बनाया। उसने ब्रिटेन के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जोन केम के नाम से फर्जी डिग्री और दस्तावेज तैयार किए। इन कागजों के दम पर उसने दमोह के इस मिशनरी अस्पताल में नौकरी पक्की कर ली। बिना किसी वास्तविक ट्रेनिंग या अनुभव के उसने दिल की सर्जरी जैसे जटिल ऑपरेशन करने शुरू कर दिए। नतीजा ये हुआ कि मरीजों की जान पर बन आई। बताया जा रहा है कि सात मरीजों की जान चली गई है।

महीने भर में सात मौतों की खबर ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा कि मरीजों की मौत के आंकड़े सही नहीं हैं।

इस पूरे मामले का खुलासा करने का श्रेय जाता है बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और एडवोकेट दीपक तिवारी को। उन्होंने इस फर्जीवाड़े की शिकायत कलेक्टर से की, जिसके बाद जांच का सिलसिला शुरू हुआ। कलेक्टर के आदेश पर एक कमेटी ने अस्पताल से सारे दस्तावेज जब्त किए। जांच में जो सामने आया, वो और भी हैरान करने वाला था। पता चला कि इस तथाकथित "डॉक्टर" का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है और उसके पास कोई वैध मेडिकल डिग्री नहीं है। दीपक तिवारी का दावा है कि इस फर्जी डॉक्टर की लापरवाही से सात मरीजों की जान गई, और हो सकता है कि असल संख्या इससे कहीं ज्यादा हो।

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