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ग्लोबल वार्मिंग का संकट पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है। आरएमएसआई रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले साल 2050 तक भारत के 6 शहर आंशिक रूप से समुद्र में डूब जाएंगे।

मुंबई में हाजी अली दरगाह, नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, वेस्टन एक्सप्रेस हाईवे, बांद्रा वर्ली सी लिंक के डूबने का खतरा है। मुंबई, कोच्चि, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापत्तनम समेत तिरुवनंतपुरम का हिस्सा जलमग्न हो सकता है। 2050 तक, मुंबई में लगभग 998 इमारतें और 24 किमी सड़कें बढ़ते जल स्तर से प्रभावित होंगी।

इस तरह 2050 तक चेन्नई में 55 और कोच्चि में 464 इमारतें क्षतिग्रस्त हो जाएंगी। तिरुवनंतपुरम में 387 इमारतें, विशाखापत्तनम में लगभग 206 घर और 9 किमी सड़क के डूबने की संभावना है। 2050 तक भारत के चारों तरफ समुद्र का जलस्तर बढ़ने का ख़तरा है. इन सभी घटनाओं के पीछे जलवायु परिवर्तन ही कारण है।

वर्तमान में चक्रवात, तूफान और वर्षा की घटनाएं बढ़ रही हैं। ये तटीय बाढ़ का सबब बनती हैं। बीते चार दशकों में पश्चिमी तट पर चक्रवातों में 52% का इजाफा हुआ है। सन् 50 के दशक के मुकाबले भारी वर्षा में कई गुना इजाफा देखा गया है। सन् 2050 तक वैश्विक तापमान परिवर्तन 2 डिग्री सेल्सियस के करीब होगा। इसके बाद चक्रवातों और भारी बारिश में और भी तेजी आएगी।

विशेषज्ञ ने बताया कि समुद्र के जलस्तर में इजाफा और इन सभी घटनाओं से तटीय बाढ़ बढ़ सकती है, जिसका प्रभाव एक बड़े क्षेत्र पर पड़ेगा। हमें इन घटनाओं पर तुरंत निगरानी और स्टडी करने की आवश्यकता है, ताकि आपदा के वक्त चेतावनी के लिए एक सिस्टम तैयार किया जा सके।

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