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क्या अब राजस्थान में भाजपा मतलब वसुंधरा बिल्कुल नहीं है? क्या अब वसुंधरा दौर का अंत हो चुका है? ये कई सवाल इसलिए क्योंकि गृहमंत्री अमित शाह ने खुद एक न्यूज पेपर को इंटरव्यू दिया है जिसमें वो साफ तौर पर कहा है कि वसुंधरा का मतलब भाजपा है। ये गलत धारणा है। जब पत्रकार ने सवाल पूछा कि राजस्थान में क्या 3 दशकों में ये पहली दफा है कि आप बिना चेहरे के मैदान में हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सामूहिक नेतृत्व का यह प्रयोग आपको उस दौर में नुकसान पहुंचा सकता है जहां बीजेपी पहले से स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत और हाल ही में वसुंधरा राजे का पर्याय बनी हुई है।

अमित शाह ने साफ तौर पर जवाब दिया, मैं ऐसा बिल्कुल नहीं मानता। साथ ही जब पत्रकार ने यह पूछा कि कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें उन नेताओं के विकल्प के रूप में राज्यों में धकेल दिया गया है जो लंबे समय से पार्टी का चेहरा रहे, क्या शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे का कोई भविष्य है, यह देखते हुए पार्टी ने उन्हें अपने चेहरे के रूप में पेश नहीं किया है तो अमित शाह ने जवाब दिया कि वे सभी इलेक्शन लड़ रहे हैं और ऊर्जावान ढंग से नेतृत्व का मुद्दा बाद में तय किया जाएगा।

वहीं हाल ही में झालावाड़ में हुई सभा में वसुंधरा ने एक बयान दिया था कि अब मैं रिटायर्ड हो सकती हूं। हालांकि इसके अगले ही दिन वसुंधरा ने झालरापाटन से नामांकन भरते हुए बयान दिया कि मैं रिटायर होने वाली नहीं हूं। ऐसे में यदि भाजपा राजस्थान में सरकार बनाने की स्थिति में होती है तब वह एक नेता कौन है जो वसुंधरा की जगह लेगा या फिर वसुंधरा ही चेहरा होंगी? यह सब फिलहाल कयास है। बाकी आने वाले इलेक्शन में नतीजे ही बताएंगे कि आखिर कौन होगा राजस्थान का सीएम।

 

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