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G20 समिट शुरू होते ही राजधानी दिल्ली में दुनिया भर के नेताओं का जमावड़ा लग गया। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के कई नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं और कई समझौतों पर हामी भर सकते हैं। जिससे चीन को झटका लगेगा।

इनमें भारत, अमेरिका (यूएस), सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जी-20 शिखर सम्मेलन में बुनियादी ढांचे से जुड़े बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। यह समझौता रेलवे और बंदरगाहों से संबंधित होगा। मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया को जोड़ने वाले एक बहुराष्ट्रीय रेल और बंदरगाह सौदे की घोषणा शनिवार (9 सितंबर) को जी20 समिट के मौके पर की जाएगी। व्हाइट हाउस के एक अफसर ने ये सूचना दी है।

अमेरिकी प्रेसिडेंट बिडेन वैश्विक बुनियादी ढांचे पर चीन की पकड़ से लड़ना चाहते हैं और इसीलिए यह सौदा अहम वक्त पर हुआ है। बिडेन की योजना वाशिंगटन को G20 समूह में विकासशील देशों के लिए एक वैकल्पिक भागीदार और निवेशक के रूप में पेश करने की है।

इस समझौते का उद्देश्य क्या है?

अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फिनर ने नई दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन में पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस समझौते से क्षेत्र के निम्न और मध्यम आय वाले देशों को बहुत फायदा होगा। इससे मध्य पूर्व को विश्व व्यापार में अहम भूमिका मिलेगी। अमेरिकी अफसर ने कहा कि इसका उद्देश्य मध्य पूर्वी देशों को रेल से जोड़ना और बंदरगाहों के माध्यम से उन्हें भारत से जोड़ना है, जिससे शिपिंग समय, लागत और ईंधन की खपत को कम करके खाड़ी से यूरोप तक ऊर्जा और व्यापार के प्रवाह में सहायता मिलेगी।

 

 

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