आपने हाल ही में कई युवाओं को घुटने, कमर या जोड़ों की तकलीफ से जूझते हुए देखा होगा। कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से, 18 से बीस वर्षीय नवजवानों में जोड़ों के दर्द और सूजन में तेजी से इजाफा हुआ है, जो अक्सर रूमेटोइड गठिया में बदल जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि ये स्थिति मुख्य रूप से 59 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती थी, लेकिन अब ये बीमारी नौजवानों को अपनी चपेट में ले रही है।
हॉस्पिटल में आने वाले रोगियों के आधार पर डॉक्टरों का कहना है कि रूमेटाइड अर्थराइटिस से सबसे ज्यादा प्रभावित औरतें हो रही हैं. कई बार ये बीमारी इतनी अधिक घातक हो जाती है कि हड्डियां तक खोखली होने की स्थिति में पहुंच जाती है और ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या बन जाती है. मरीज की हाइट घट जाती है, हड्डियां खोखली हो जाती हैं और अलग थलग होने लगती हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि आजकल नौजवानों के घुटनों से लेकर कमर और अन्य जोड़ों में दर्द की समस्या देखने को मिल रही है. इससे जोड़ों में सूजन और इन्फ्लेमेशन जैसी शिकायत भी हो जाती है. बगैर उपचार के लंबे वक्त तक सूजन रहने से जोड़ों को क्षति भी पहुंच रही है।
डॉक्टरों के अनुसार, नौजवानों में और खासतौर पर नई उम्र में रूमेटाइड अर्थराइटिस होने के पीछे एक सबसे अहम कारण देखा जा रहा है फ्री की दवा को न लेना. सभी को सूरज से धूप निःशुल्क में मिलती है मगर आजकल के युवा इसी से दूर हैं।
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