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कामयाबी वो है जो कड़ी मेहनत करने, कठिनाइयों और असफलताओं का सामना करने के बाद मिलती है। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी आईएएस अनिल बसाक की सामने आई है। जो अपनी लगन से सफलता के शिखर पर पहुंचे हैं। बिहार के किशनगंज के मूल निवासी बसाक के पिता बिनोद बसाक एक कपड़ा विक्रेता थे जो साइकिल पर गांव-गांव जाकर कपड़े बेचते थे।

पिता चौथी कक्षा के छात्र थे। मगर उन्होंने अपने चारों बच्चों को अच्छी शिक्षा दी. बसाक को 2014 में प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में प्रवेश मिला, जब परिवार बड़ी वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहा था। अनिल बसाक अपने संघर्षपूर्ण सफर को याद करते हुए कहते हैं कि सच कहूं तो मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।

उन्होंने कहा कि ये जीवन का एक कठिन समय था जिसने मेरी परीक्षा ली और साथ ही मुझे ताकत भी दी। मेरे पिता समाचार देखते थे इसलिए घर पर मेरे परिवार के सभी सदस्य आज तक सहित कई टीवी समाचार चैनल देखते थे। बचपन से मैंने कई समाचार देखे समाचार चैनलों के माध्यम से समसामयिक घटनाएँ। मुझे नहीं पता था कि मैं कभी आईएएस अफसर बनूँगा।

ग्रेजुएशन के बाद, अनिल ने आईएएस अधिकारी बनने के अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी, मगर 2018 में पहले प्रयास में सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा पास करने में असफल रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बसाक ने कहा कि मैंने अपने पहले प्रयास में इस परीक्षा के लिए बहुत मेहनत की, मगर इसे पास नहीं कर सका। इसके बाद सेल्फ एग्जामिनेशन और दूसरे प्रयास में उन्होंने 616 रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास की।

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