हर बीमारी से लड़ने के लिए सुरक्षा कवच के रूप में टीके (वैक्सीन) को इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि टीके शरीर में बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने के लिए एंटीबॉडीज का उत्पादन करते हैं। ये शरीर में उत्पन्न होने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट करते हैं। तभी तो टीकाकरण (वैक्सीनेशन) करवाने से कई रोगों से बच सकते हैं। अगर व्यक्ति को टीका लगा हुआ है तो बीमारी के संपर्क में आने पर प्रतिरक्षा प्रणाली उसे पहचान लेती है और तुरंत एंटीबॉडिज रिलीज करती है।
दरअसल, एंटीबॉडिज ही बीमारी से लड़कर उसे खत्म करने का काम करती हैं। टीके की महत्ता को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले दिनों दो दिवसीय ग्लोबल वैक्सीन सेफ्टी समिट का आयोजन जेनेवा में किया। वैक्सीन सेफ्टी को लेकर वहां चर्चा हुई। कई घातक बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण जरूरी है और इस दिशा में विश्व स्वास्थ्य संगठन काम कर रहा है। हर उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की जरूरत है। नवजात शिशु, बच्चे से लेकर किशोर और वयस्कों को उनकी उम्र, स्थान व स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए इसकी जरूरत होती है।
इतनी बीमारियों को रोकता है वैक्सीन
टीकाकरण कब और क्यों
टीकाकरण जन्म से शुरू कर देना चाहिए। इसका कारण यही है कि नवजात शिशुओं की प्रतिरोध क्षमता कम होती है और वे जल्द संक्रामक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ कुछ टीकों की बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए ताकि रोग प्रतिरक्षण को बरकरार रखा जा सके। बूस्टर खुराक यह सुनिश्चित करने के लिए दी जाती है कि जिन बच्चों में पहले टीके के बाद प्रतिरक्षण क्षमता विकसित नहीं हुई, उनमें बूस्टर खुराक के जरिए यह हो पाए।
गंभीर नहीं होते टीके के साइड इफेक्ट
टीके के भी साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं लेकिन ये आमतौर पर हल्के होते हैं। ये खुद ही ठीक जाते हैं। जहां टीका लगाया गया हो वहां दर्द, सूजन या त्वचा लाल हो सकती है। टीके वाली जगह पर मांसपेशियों में दर्द का अनुभव हो सकता है। बुखार भी हो सकता है। टीकाकरण के लिए सबसे बेहतर होगा कि उसका कैलेंडर बनाएं और डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर लगवाएं।
वयस्कों के लिए बड़े काम के हैं पीसीवी और पीपीएस
लिवर, अस्थमा, किडनी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए पीसीवी (न्यूमोकोकल कॉन्जगेट वैक्सीन) और पीपीएस (न्यूमोकोकल पॉलिसेचाराइड वैक्सीन) के टीके लगाए जाते हैं। ये टीके हर पांच साल में लगते हैं। खासकर 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को न्यूमोकोकल बैक्टीरिया से बचाव करते हैं। वहीं एच1एन1 वायरस से बचाव के लिए साल में एक बार स्वाइन फ्लू का इंजेक्शन लगवाया जा सकता है।.