कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार व किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। मोदी सरकार के रवैये से नाराज किसानों ने 8 दिसम्बर को भारत बंद व दिल्ली सील करने का ऐलान किया है। कृषि कानूनों के विरोध में देशभर में किसान संगठनों द्वारा 5 दिसम्बर को मोदी सरकार व कारपोरेट घरानों का पुतला फूंका जाएगा और 7 दिसम्बर को देशभर के सेना के जवान और अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अपने मेडल लौटाएंगे। यह फैसले शुक्रवार को सिंघु बार्डर पर आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में किसान संगठनों ने लिये।
हरेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार बातचीत के दौरान 9 बिदुंओं पर संशोधन के लिए राजी हुई। खुद मोदी सरकार ने माना कि कई बिंदुओं में खामी हैं। बातचीत के दौरान सरकार बिजली व पराली बिल को वापस लेने के लिए तैयार हुई तो एमएसपी पर कानून के लिए भी राजी हो गई थी। पहले सरकार कृषि कानूनों को बढ़िया बता रही थी लेकिन जब किसान संगठनों ने बिंदुवार खामियां गिनाईं तो सरकार ने माना कि कुछ बिंदुओं पर खामियां हैं। किसानों ने दो टूक मोदी सरकार को कहा कि लोकसभा का विशेष सत्र बुलाकर सरकार तीनों कानूनों को वापस ले।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि शनिवार को मोदी सरकार के साथ होने वाली मीटिंग में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर फसल गारंटी की मांग रखी जाएगी। किसानों को सभी 23 फसलों पर एमएसपी की गारंटी चाहिए और तीनों कानून निरस्त होने चाहिए।
किसान नेता योगेंद्र यादव ने बताया कि पूरे देश के किसान आंदोलन के साथ जुड़ चुके हैं। कर्नाटक में किसान 7 से 15 दिसम्बर तक विधानसभा के सामने धरना देंगे। पश्चिम बंगाल में किसान शनिवार को रास्ता रोकेंगे तो महाराष्ट्र के 8 संभागों पर किसानों का निरंतर धरना चलेगा। किसानों की ओर से एक दिन के लिए देश के सभी टोल-नाकों को फ्री किया जाएगा, इसकी तिथि तय होनी बाकी है।