दुनिया संकट में होती है तो लोगों के मन में तरह-तरह की विनाशकारी आशंकाएं जन्म लेती है। इस समय कुछ ऐसा ही हो रहा है। कोरोना महामारी के चलते दुनिया ठहरी हुई है। अर्थव्यवस्था रसातल में पहुंचती जा रही है। बेहिसाब मौतें हो रही है। लोग तरह-तरह की आशंकाओं से ग्रस्त हैँ। कहा जा रहा है कि सूरज का तापमान आजकल कम होता जा रहा है। इसकी सतह पर धब्बे खत्म हो रहे हैं। स्पॉट बन ही नहीं रहे। सूरज का तापमान कम होगा तो हिमयुग की वापसी हो सकती है। भूकंप और सुनामी आ सकती है।
सोलर सिस्टम पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि सूरज पर सोलर मिनिमम की प्रक्रिया चल रही है। अर्थात सूरज आराम कर रहा है। कुछ विशेषज्ञ इसे सूरज का रिसेशन और लॉकडाउन भी कह रहे हैं। वैज्ञानिक पता लगाने में जुटे हैं कि इस तरह की घटना कहीं किसी बड़े सौर तूफान के आने के संकेत तो नहीं है। वैसे सूरज की सतह पर सन स्पॉट का घटना पृथ्वी के लिए अशुभ माना जाता है।
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हासिल जानकारी के अनुसार 1610 के बाद से लगातार सूरज की सतह पर बनने वाले सन स्पॉट में कमी आई है। पिछले साल भी करीब 264 दिनों तक सूरज पर एक भी धब्बे नहीं बने थे। ध्यातव्य है कि सूरज पर सोलर स्पॉट तब बनते हैं, जब सूर्य के केंद्र से गर्मी की तेज लहर ऊपर उठती है। इससे एक बड़ा विस्फोट होता है। इससे अंतरिक्ष में सौर तूफान उठता है।
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उल्लेखनीय है कि साल 2020 में अब तक सूरज की सतह पर किसी तरह का सनस्पॉट नजर नहीं आया है। नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप से मिले आकंड़ों का अध्ययन कर मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया है कि गैलेक्सी में सूरज जैसे मौजूद अन्य तारों की तुलना में अपने सूरज की चमक कम हो रही है।
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नासा के वैज्ञानिकों को आशंका है कि सोलर मिनिमम के कारण 1790 से 1830 के बीच उत्पन्न हुए डैल्टन मिनिमम की स्थिति वापस लौट सकती है। इससे कड़ाके की ठंड, फसल के खराब होने की आशंका, सूखा और ज्वालामुखी फटने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। जानकारी के अनुसार 17वीं और 18वीं सदी में भी सूरज इसी तरह ढीला पड़ गया था। इससे यूरोप में छोटा सा हिमयुग का दौर आ गया था।
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