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Up Kiran, Digital Desk: भारत की वैश्विक कूटनीति एक नई उड़ान भर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 जुलाई से नौ जुलाई तक की एक महत्वपूर्ण पांच देशों की यात्रा पर हैं, जो न केवल दक्षिण-दक्षिण सहयोग को सशक्त करने की दिशा में है, बल्कि अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को भी नया विस्तार देने वाली है। इस यात्रा में उनका दौरा घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया तक फैला है — ये सभी देश वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने रवाना होने से पहले अपने वक्तव्य में कहा कि यह यात्रा भारत की वैश्विक रणनीतिक भूमिका को और मजबूत करेगी और बहुपक्षीय मंचों पर उसकी भागीदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। उन्होंने कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि इस यात्रा से भारत की अफ्रीका और अटलांटिक क्षेत्र के देशों के साथ मैत्री और सहयोग का नया युग शुरू होगा।”
ब्राजील में ब्रिक्स सम्मेलन से यात्रा को वैश्विक स्वरूप
पीएम मोदी की यह यात्रा अपने सबसे अहम चरण में तब पहुंचेगी जब वे 6 और 7 जुलाई को रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस बार की बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भाग ले रहे हैं, जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अनुपस्थित रहेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री ब्रासीलिया में ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जिसमें वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं और आपसी सहयोग के मार्ग तय किए जाएंगे।
यह भारत के किसी प्रधानमंत्री की लगभग छह दशकों में ब्रासीलिया की पहली आधिकारिक यात्रा मानी जा रही है, जो दोनों देशों के संबंधों में नया ऊर्जा संचार कर सकती है।
अर्जेंटीना: ऊर्जा सहयोग और खनिज संसाधनों पर केंद्रित रणनीति
प्रधानमंत्री मोदी की अगली मंज़िल होगी अर्जेंटीना, जहां वे ब्यूनस आयर्स में राष्ट्रपति जेवियर मिली से मुलाकात करेंगे। यह पिछले 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। दोनों देशों के बीच कृषि, ऊर्जा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और खनिजों के क्षेत्र में सहयोग को लेकर बड़े निर्णय संभव हैं।
भारत, अर्जेंटीना से सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का प्रमुख आयातक है, और वहां के तेल एवं गैस संसाधनों में उसकी गहरी रुचि है। दोनों देशों की ऊर्जा कंपनियों ने एलएनजी और हाइड्रोकार्बन क्षेत्रों में संयुक्त कार्य के लिए समझौते भी किए हैं, जिससे यह साझेदारी और सुदृढ़ होने की उम्मीद है।
घाना: लोकतंत्र और सहयोग का साझा मंच
यात्रा की शुरुआत घाना से हुई है, जहां प्रधानमंत्री मोदी 2 और 3 जुलाई को मौजूद हैं। घाना को भारत ने हमेशा पश्चिमी अफ्रीका का महत्वपूर्ण सहयोगी माना है। प्रधानमंत्री ने इस यात्रा को लोकतंत्र और विकास के साझा मूल्यों का उत्सव बताया है।
यहां वे घाना की संसद को संबोधित करेंगे और राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा से मुलाकात कर ऊर्जा, निवेश, स्वास्थ्य, सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
त्रिनिदाद और टोबैगो: साझा विरासत और भावनात्मक जुड़ाव
3 और 4 जुलाई को प्रधानमंत्री की यात्रा त्रिनिदाद और टोबैगो में होगी। भारत और इस कैरेबियाई देश के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की गहराई काफी पुरानी है। इस साल वहां भारतीय मूल के लोगों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ भी मनाई जा रही है।
प्रधानमंत्री यहां राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर से मिलेंगे, और दोनों देशों के बीच समुदाय आधारित संबंधों और सहयोग पर चर्चा करेंगे। मोदी ने इसे "पूर्वजों की विरासत को सम्मान देने और भावनात्मक रिश्तों को सशक्त करने का अवसर" बताया।
नामीबिया: संसाधन सहयोग और स्वतंत्रता की साझी स्मृति
इस यात्रा का अंतिम चरण नामीबिया में होगा, जहां प्रधानमंत्री राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवा से मिलेंगे। भारत और नामीबिया के बीच औपनिवेशिक संघर्ष, स्वतंत्रता और विकास की साझी यात्रा को एक नई पहचान देने का प्रयास होगा।
प्रधानमंत्री नामीबिया की संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे और दोनों देशों के बीच लिथियम आयन तकनीक, व्यापार सहयोग और संसाधन साझेदारी पर चर्चा करेंगे।
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