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Up Kiran, Digital Desk: लखनऊ में सावन का आगाज होते ही शहर की रफ्तार एक बार फिर आस्था की दिशा में मुड़ गई है। इस वर्ष शिवभक्तों के उत्साह और श्रद्धा ने लखनऊ के धार्मिक स्थलों को जीवंत कर दिया है। सावन 2025 की शुरुआत खास ज्योतिषीय संयोगों के साथ हो रही है, जिससे भोलेनाथ की उपासना का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। खास बात यह है कि इस बार आम लोगों की भागीदारी के साथ-साथ मंदिर प्रशासन भी बेहतर इंतज़ामों और डिजिटल सुविधाओं के साथ तैयार दिख रहा है।

उत्तर भारत में सावन को शिव आराधना के सबसे पावन समय के रूप में देखा जाता है, और लखनऊ में तो यह महीना सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बन जाता है। खासतौर से शहर के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भक्तों की आवाजाही देखते ही बन रही है। आइए जानते हैं, इस बार के सावन में इन मंदिरों में क्या कुछ नया देखने को मिल रहा है।

1. डालीगंज का मनकामेश्वर मंदिर: श्रद्धा के साथ तकनीक का संगम

गोतमी किनारे बसे इस ऐतिहासिक मंदिर में आस्था का आलम हर सावन में चरम पर रहता है। यहां शिवभक्त रुद्राभिषेक और रात्रि भजनों में हिस्सा लेते हैं, लेकिन इस बार जो चीज़ सबसे ज़्यादा चर्चा में है, वो है ऑनलाइन दर्शन की सुविधा। जिन श्रद्धालुओं के लिए भीड़ में आना संभव नहीं है, उनके लिए वर्चुअल दर्शन और पूजा की व्यवस्था की गई है। महिलाएं विशेष पूजा में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।

2. बुधेश्वर मंदिर: जहां हर सोमवार होता है महोत्सव जैसा माहौल

राजाजीपुरम के नज़दीक स्थित इस मंदिर में सावन के सोमवार किसी उत्सव से कम नहीं होते। यहां के स्वयंभू शिवलिंग की मान्यता दूर-दराज़ तक फैली हुई है। भक्त गंगाजल, बेलपत्र और भांग के साथ शिव का अभिषेक कर सुख और शांति की कामना करते हैं। मेले जैसा वातावरण स्थानीय दुकानदारों के लिए भी आमदनी का स्रोत बनता है।

3. नागेश्वरनाथ मंदिर: जहां शिव की आराधना नागों के संग होती है

चौक क्षेत्र में स्थित यह मंदिर एक खास पहचान रखता है। यहां भोलेनाथ की पूजा नागेश्वर रूप में होती है, और नाग पंचमी के आसपास मंदिर में विशेष भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु शिव को दूध, धतूरा और बेलपत्र अर्पित कर परिवार की रक्षा और जीवन में संतुलन की कामना करते हैं।

4. काली जी मंदिर परिसर: शक्ति और शिव की संयुक्त उपासना

चौक में स्थित काली जी मंदिर परिसर के शिव मंदिर में खासतौर पर महिलाएं सावन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। यहां भस्म आरती, संध्या भजन और जागरण के आयोजन सावन की हर रात को खास बना देते हैं। यह स्थान शिव और शक्ति दोनों के भक्तों को एक साथ जोड़ने का काम करता है।

5. सती खंडेश्वरी मंदिर: पारिवारिक सुख और संतान की कामना का केंद्र

आलमबाग में स्थित यह मंदिर उन दंपतियों और युवतियों के लिए विशेष महत्व रखता है जो विवाह और संतान की इच्छा रखते हैं। यहां शिव और सती की युगल पूजा की परंपरा है। सावन के सोमवार को खासतौर पर वैवाहिक सुख के लिए सामूहिक पूजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

 

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