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जालौर और सिरोही सीट पर कांग्रेस को करारा झटका लगा है। दरअसल माली समुदाय से आने वाले कद्दावर नेता और कांग्रेस के पूर्व सचिव ने अपना इस्तीफा दे दिया है। नैनाराम माली ने अपना इस्तीफा देते हुए अशोक गहलोत पर इल्जाम लगाए हैं कि अशोक गहलोत ने किसान और माली समाज को दरकिनार किया है, जिसके चलते वो अपना इस्तीफा दे रहे हैं।

एक तरफ अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव गहलोत के लिए निरंतर प्रचार प्रसार करते हुए दिखे। जनता का समर्थन उनकी ओर से मांगा गया। हालांकि इस सीट पर खुद पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भी जनसभा की। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी इस सीट पर जनता का मन टटोलने गए और गठबंधन वाले हनुमान बेनीवाल वो भी सीट पर वैभव गहलोत के लिए प्रचार प्रसार करते हुए दिखे। किंतु, अब यूं कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले यानी कि मतदान से पहले जिस तरह नैनाराम ने अपना इस्तीफा दिया है, खलबली सी मच गई है।

इस सीट पर एक तरफ अशोक गहलोत इस सीट को जिताने के लिए पुरजोर तरीके से जतन करने में लगे थे। दोनों ही उम्मीदवारों का जिक्र कर ले। वैभव गहलोत के लिए अशोक गहलोत और उनकी पूरी टीम जतन करने में लगी थी तो वहीं दूसरी ओर लुम्बाराम के लिए बीजेपी जनता का मन टटोलने में लगी थी। किंतु, चुनाव से पहले जिस तरह नैनाराम माली ने इस्तीफा दिया अब चर्चाएं तेज हो गई है कि इस सीट से कांग्रेस कैसे जीतेगी।

क्योंकि जब कोई कद्दावर नेता नैनाराम माली माली समाज के कद्दावर नेता हैं और ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद कई और गुट के नेता जो इस्तीफा देने के लिए तैयार हो गए हैं। क्योंकि कोई बडा नेता जब इस्तीफा देता है तो उसके साथ उसकी पूरी टीम इस्तीफा देने में लग जाती है और दलबदल की राजनीति शुरू हो जाती है। हालांकि नैनाराम माली बीजेपी का दामन थामेंगे या फिर नहीं इसको लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई है। 

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