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7 जुलाई का दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए बेहद खास होने वाला है। क्योंकि यह वो दिन है जब तय होगा कि मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी के खिलाफ सूरत कोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा या नहीं। इस मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा मिली, जिसके चलते उनकी संसद से सदस्यता रद्द हो गई और उन्हें मिला घर भी ले लिया गया, जिसमें वह पिछले 18 सालों से रह रहे थे। अब राहुल के मामले में क्या कुछ संभावनाएं हैं? आइए बात करते हैं इस खबर में।

दरअसल, सूरत की अदालत का फैसला राहुल गांधी के खिलाफ आने के बाद उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था और वेकेशन के बाद फैसला लेने की बात कही थी। मान लीजिए सूरत कोर्ट के फैसले पर अगर रोक लग जाती है तो कांग्रेस नेता की अयोग्यता का जो मामला है वह रिवर्स यानी पलट सकता है। इस वक्त राहुल गांधी संसद सदस्य के तौर पर आठ सालों के लिए सस्पेंड हैं। अगर सस्पेंशन पर रोक नहीं लगती है तो राहुल गांधी के पास गुजरात हाईकोर्ट की ही उच्च पीठ के सामने अपील करने का भी ऑप्शन रहेगा।

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2018 में ऐतिहासिक लिली थॉमस और लोकप्रहरी फैसलों में कहा था कि अगर सजा निलंबित कर दी जाती है और जिस अदालत में अपील की गई है, वह दोषसिद्धि पर रोक लगा देती है तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत किसी विधायक की अयोग्यता को रिवर्ट यानी उसे पलटा जा सकता है।

अकेले सजा के निलंबन से विधायक के रूप में अयोग्यता को रिवर्ट नहीं किया जा सकता। जरूरी है कि अपील की गई अदालत में अयोग्यता को निलंबित करने के मामले में दोष सिद्धि पर भी रोक लगे। 

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