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Up Kiran, Digital Desk: हरियाणा में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) वर्ग में आने के लिए कुछ लोगों ने ऐसा खेल खेला कि सरकार को भारी चपत लग गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि 12000 से अधिक जोड़ों ने फर्जी तलाक का सहारा लिया जिससे सरकारी योजनाओं के लाभ लेने के लिए अपनी आय को कम दिखा सकें। लेकिन इस धोखाधड़ी के खेल में एक बहुत बड़ा खेल हुआ है जो अब पुलिस की जांच के दायरे में है। आइये जानते हैं इस घोटाले के बारे में और कैसे यह सरकार के लिए परेशानी का कारण बना।

फर्जी तलाक का खेल

यह मामला नूंह से लेकर झज्जर तक फैला हुआ है। यहां कुछ लोग गरीबों के लिए बनायीं गई योजनाओं का लाभ उठाने के लिए परिवार पहचान पत्र (PPP) में गड़बड़ी कर रहे थे। इन योजनाओं का लाभ पाने के लिए ज़रूरी था कि परिवार की वार्षिक आय बीपीएल के लिए निर्धारित सीमा से कम हो और इसके लिए इन लोगों ने एक असामान्य रास्ता अपनाया— फर्जी तलाक। इस योजना के तहत 12000 से अधिक जोड़ों ने फर्जी तलाक लेकर अपनी आय को घटा दिया जिससे वे बीपीएल श्रेणी में शामिल हो सके।

साजिश का खुलासा कैसे हुआ?

पुलिस ने मामले की जांच करते हुए पाया कि इन परिवारों ने परिवार पहचान पत्र (PPP) के इनकम रिकॉर्ड में हेरफेर किया। इस प्रक्रिया में इन जोड़ों ने साइबर थानों की मदद से "तलाक के दस्तावेज" तैयार किए जो बाद में परिवारों को बीपीएल का दर्जा दिलाने के लिए इस्तेमाल किए गए। इसके बदले में आरोपियों ने मोटी रकम वसूली और उन परिवारों को फायदा पहुँचाया जिनकी वार्षिक आय वाकई में बीपीएल की सीमा से ऊपर थी।

पुलिस ने इस धोखाधड़ी के मामले में झज्जर साइबर थाना पुलिस ने कुछ प्रमुख आरोपियों को अरेस्ट किया। इनमें नागरिक संसाधन सूचना विभाग (CRID) के जिला प्रबंधक योगेश कुमार और अन्य चार लोग शामिल हैं जिन पर आरोप है कि इन्होंने परिवार पहचान रिकार्ड में छेड़छाड़ की और फर्जी दस्तावेज तैयार किए। पुलिस के अनुसार आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।

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