जीवन में आने वाली कई तरह की समस्याओं से राहत पाने के लिए रत्नशास्त्र में कुछ रत्न सुझाए गए हैं, जो काफी प्रभावी होते हैं। ज्योतिषी बताते हैं अगर रत्नो को नियमों के साथ धारण किया जाए तो वो आपकी समस्याओं को काफी हद तक दूर कर देते हैं। यही वजह हैं कि कोई भी रत्न पहनने से पहले अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाकर उनसे सलाह ले अवश्य ले लेनी चाहिए। दरअसल रत्न न सूट करने पर ये नकारात्मक असर डालते हैं। आज हम आपको मणिक्य रत्न के बारे में बातएंगे और ये भी बताएंगे कि इसे कौन -कौन पहन सकता है।
माणिक धारण करने से लाभ
ज्योतिषी बताते हैं कि माणिक्य पहनकर सूर्य उपासना करने से सूर्य की पूजा का फल दोगुना मिलने लगता हैं। साथ ही माणिक्य रत्न धारण करने से सूर्य प्रभावित रोग जैसे हृदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार रोग भी ठीक होते हैं। ये रत्न धारण करने से व्यक्ति के अंदर ऊर्जा और आत्मबल का विकास होता है। साथ ही कार्यक्षेत्र में भी तरक्की मिलती है।
किन्हें पहनना चाहिए माणिक
मेष, सिंह और धनु लग्न के जातकों को माणिक्य शुभ फलदायो होता है। वहीं कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में यह साधारण परिणाम देता है।
अगर जातक हृदय और नेत्र रोग से पीड़ित है तो वह माणिक रत्न धारण कर सकता है।
अगर धन भाव ग्याहरवां भाव, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के स्थित है तो भी माणिक धारण करना शुभ होता है।
इन्हें पहनना चाहिए माणिक
कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुंभ लग्न के जातकों को माणिक रत्न नहीं धारण करना चाहिए।
कुंडली में अगर नीच के सूर्य है तो भी माणिक धारण करना शुभ नहीं होता है।
जो लोग शनि संबंधित व्यापार कर रहे हैं उन्हें भी माणिक नहीं पहनना चाहिए।
माणिक पहनने की विधि
हमेशा गुलाबी या लाल रंग के पारदर्शी माणिक्य को ही पहनना चाहिए।
इसे हमेशा सोने या तांबे में धारण करना चाहिए।
इसे रविवार के दिन दोपहर में अनामिका अंगुली में धारण करना शुभ होता है।
माणिक रत्न का वजन कम से कम 6 से सवा 7 रत्ती का होना चाहिए.
माणिक रत्न को सूर्योदय होने पर स्नान करने के बाद धारण करना चाहिए।
माणिक को पहनने से पहले अंगूठी को गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें।
इसके बाद घर में मंदिर के सामने बैठकर एक माला सूर्य देव के मंत्र ओम सूर्याय नमः: का जप करें और फिर अंगूठी पहनें।
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