वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी एक फरवरी को देश का आम बजट पेश करेंगी। इससे पहले 29 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होगा। कोरोना महामारी के दौर में पेश किये जा रहे इस बजट को लेकर किसानों व उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि इस बजट में सरकार किसानों व कृषि आधारित उद्योगों को कुछ सौगातें दे सकती है। बता दें कि और एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी।
उद्योग संगठनों ने आगामी केंद्रीय बजट में कृषि रसायनों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर घटाकर 12 फीसदी करने की मांग की है, ताकि कृषि रसायनों की कीमतों को कम किया जा सके। वर्तमान में कृषि रसायनों पर18 फीसदी जीएसटी लगता है।
उद्योग संगठन क्रॉपलाइफ इंडिया के सीईओ असित्व सेन का कहना है कि सरकार को जीएसटी के नियमों को और सरल बनाना चाहिए। असित्व सेन के मुताबिक़ कंपनियों को किसी राज्य में चुकाए गए टैक्स पर दूसरे राज्य के इनपुट क्रेडिट को समायोजित करने की अनुमति देनी चाहिए।
उद्योग संगठनों ने सरकार से एग्रोकेमिकल कंपनियों के अनुसंधान एवं विकास खर्च पर दो सौ फीसदी भारित कटौती प्रदान करने की उम्मीद जताई है। उद्योग ने सरकार से कच्चे माल और तैयार उत्पादों दोनों पर एक समान मूल सीमा शुल्क 10 फीसदी बनाए रखने की भी मांग की है।
देश के किसानों की निगाहें भी बजट पर लगी हैं। भारतीय कृषक समाज ने डीजल पर टैक्स कम करने और फल एवं सब्जियों पर परिवहन सिब्सडी देने, डीजल पर कर की दर में कटौती तथा अल्कोहल को जीएसटी व्यवस्था में शामिल करने, यूरिया और पोटाश की कीमतों में कमी करने की मांग की है। संगठन ने वित्त मंत्रालय को कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण से संबंधित कुछ सुझाव भी भेजे हैं, जिसमे डीजल पर कर की दर में कटौती तथा अल्कोहल को जीएसटी व्यवस्था में शामिल करने का सुझाव भी शामिल हैं।
किसानों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार किसान सम्मान निधि योजना के तहत मौजूदा वार्षिक किस्त को 10000 रुपये तक बढ़ा सकती है। इस समय केंद्र के नए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन चल रहा है। इस लिहाज से माना जा रहा है कि इस बार आम बजट में सरकार किसानों की नाराजगी दूर करते हुए उन्हें कई सौगातें दे सकती है।