img

Up Kiran, Digital Desk:  अगर आप लोक संस्कृति और पारंपरिक नृत्यों के शौकीन हैं, तो यह खबर आपके चेहरे पर मुस्कान ले आएगी! इस साल फिर से 'घूमर महोत्सव' (Ghoomar Festival) का आयोजन होने जा रहा है, और इस बार 19 नवंबर को राजस्थान की समृद्ध परंपराओं और कला का यह अद्भुत नज़ारा देखने को मिलेगा. घूमर सिर्फ एक नृत्य नहीं, बल्कि राजस्थान की गौरवशाली संस्कृति, इतिहास और महिलाओं के सौन्दर्य का जीता-जागता प्रतीक है.

क्यों खास है घूमर?

घूमर राजस्थान का एक पारंपरिक लोक नृत्य है, जो खासकर राजपूत महिलाओं द्वारा किया जाता है. जब रंग-बिरंगे घाघरा-चोली में सजी महिलाएं धीरे-धीरे चक्कर लगाते हुए थिरकती हैं, तो यह नज़ारा इतना मनमोहक होता है कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. ढोल और थाप की मधुर धुनों पर होने वाले इस नृत्य में हर कदम, हर हाथ की मुद्रा एक कहानी बयां करती है. घूमर को पारंपरिक त्योहारों, शादी-ब्याह और अन्य शुभ अवसरों पर खुशी जाहिर करने के लिए किया जाता है.

यह महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी जड़ों से जुड़ने का, पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देने का और नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से अवगत कराने का एक माध्यम है. जब एक साथ कई नर्तकियां पारंपरिक गीत गाते हुए गोल घेरे में घूमती हैं, तो ऐसा लगता है मानो कोई जादुई ऊर्जा पूरे वातावरण में फैल गई हो. यह मौका होता है जब लोग राजस्थान के लोक संगीत, नृत्य और पारंपरिक वेशभूषा की भव्यता का अनुभव करते हैं.

तो अगर आप राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और रंगीन परंपराओं को करीब से जानना चाहते हैं, तो 19 नवंबर का दिन नोट कर लीजिए. घूमर महोत्सव आपको एक ऐसा अनुभव देगा, जिसे आप लंबे समय तक याद रखेंगे!