शिव तत्व से ही उत्पन्न हुई है सृष्टिः कैलाशानंद

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हरिद्वार। श्री दक्षिण काली मंदिर के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने भक्तों को शिव महिमा से अवगत कराते हुए कहा कि सृष्टि के प्रारम्भ होने से पूर्व भी शिव तत्व ही व्याप्त था। शिव तत्व से ही सृष्टि उत्पन्न हुई। भगवान शिव जन्म और मृत्यु दोनों के साक्षी हैं। भगवान शिव श्रद्धा और विश्वास के समग्र रूप हैं।

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जीवन की कोई भी प्रक्रिया तभी प्रारम्भ होती है जब व्यक्ति में श्रद्धा और विश्वास का भाव होता है। सावन में शिव आराधना का विशेष महत्व है। भगवान शिव पूर्ण विश्वास हैं। विश्वास जीवन है और अविश्वास मृत्यु। विश्वास की डोर ही साधक को शिव तक पहुंचा सकती है। शिव सदैव सहज रहते हैं। इसीलिए शांत रहते हैं। शिव के शांत होने का कारण उनके शीश पर गंगा का विराजमान होना है।

गंगा उज्ज्वता, शीतलता, धवलता के सतत प्रवाह का प्रतीक हैं। निर्मलता व पवित्रता गंगा के गुण हैं। जिसके विचारों में गंगा जैसे गुण होंगे वह सदैव शांत और गतिमान रहेगा। कहा कि भगवान आशुतोष, ब्रह्मा और विष्णु के साथ रौद्र रूप में सृष्टि में विराजमान हैं। त्रिदेव सृष्टि के आधार व सर्वोच्च शिखर हैं। शिव को अतिप्रिय श्रावण में शिवलिंग के रूप में पूजे जाने वाले महादेव की पूजा करने से सभी देवों की पूजा का फल मिलता है।

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