किराये पर कृषि उपकरण लेकर बीपीएल से कैसे करोड़पति बन गया ये गरीब किसान, पढ़िए सक्सेस स्टोरी

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इन्दौर।। धार जिले के कुक्षी तहसील के ग्राम बड़दा के कृषक बाबुलाल पिता स्व. औंकार परिहार ने कक्षा 8वीं तक की पढ़ाई की। आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण उन्होंने खेतीबॉड़ी में ध्यान केन्द्रित किया। शुरुआती दौर में 8 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से उन्हें मजदूरी मिली। उन्होंने 12 रूपये तक की प्रतिदिन की मजदूरी गांव में तथा इन्दौर में की है। उनके पास 13 एकड़ स्वयं की कृषि भूमि है।

धार जिले में वर्ष 2002 से 2005-06 में सफेद मूसली की खेती में पूरे प्रदेश में हब (केन्द्र) था। कृषक परिहार ने वर्ष 1999 से सफेद मूसली की खेती करना आरम्भ किया। मूसली की खेती में 2 एकड़ क्षेत्र में 5 क्विंटल बीज लगाया जाता है। सफेद मूसली का उत्पादन 5 से 7 गुना होता है। प्रति एकड़ लगभग 35 क्विंटल उत्पादन होता है। कुल 70 क्विंटल सफेद मूसली का उत्पादन होता है। 21 लाख रूपये की फसल आ जाती है। सभी खर्च काटकर 5 से 6 लाख रूपये प्रति एकड़ की बचत हो जाती है। इस प्रकार कृषक परिहार कुल 12 लाख रूपये की शुद्ध आय प्राप्त कर लेते है। इतना ही नहीं सफेद मूसली की फसल घर बैठे ही बिक जाती है।

गौरतलब है कि कृषक परिहार ने भारत सरकार की प्रशिक्षण संस्था शेडमेप से 3 दिवस का प्रशिक्षण वर्ष 1999 में धार में प्राप्त किया। प्रशिक्षण के दौरान वे बी.पी.एल. श्रेणी में आते थे। जड़ी-बुटी (औषधि पौधे) की खेती करके कृषि उपकरण ट्रेक्टर, कल्टीवेटर, रोटावेटर, सीड ड्रिल इत्यादि क्रय किए। स्वयं की भूमि के अलावा वर्ष का अनुबंध करके 11 एकड़ कृषि भूमि अन्य किसानों से ली है।

कृषक परिहार ने 6 एकड़ में मिर्ची, 7 एकड़ में मक्का, 2 एकड़ में सफेद मूसली, साढ़े तीन एकड़ में सतावरी की सफल, 2 एकड़ में टमाटर, 3 एकड़ में भिंडी की फसल ले रहे है। मिर्ची के 52 हजार पौधे अंजड़ में स्थित गुरूकृपा नर्सरी से क्रय कर लगाए थे। यह मिर्ची के पौधे डेढ़ रूपये प्रति पौधा के मान से कुल 78 हजार रूपये के पौधे खरीदे गए थे। 180 क्विंटल मिर्ची की फसल बेची है। जिसमें 3 लाख 25 हजार रूपये प्राप्त हुए है। वर्ष भर में मिर्ची की दो फसले ली जाती है। एक फसल में 6-7 बार मिर्ची की तुड़ाई की जाती है। वर्ष भर की फसल में 22 लाख रूपये की मिर्ची का उत्पादन हो जाता है।

इस कृषक ने मिर्ची के साथ ही 42 किलो मक्का की फसल भी बोई है। मिर्ची की फसल आने के बाद मक्का की फसल आयेगी। जिससे उनकी जमीन खाली नही रहेगी और मिर्ची के तुरन्त बाद लगभग 210 क्विंटल मक्का का उत्पादन होगा। जिससे उनकी माली हालत में सुधार करने में मदद मिलेगी। इस कृषक ने साढ़े तीन एकड़ क्षेत्र में नेपाली सतावरी औषधि की खेती इसी वर्ष से कर रहे है। एक एकड़ में 12 हजार पौधे के मान से कुल 42 हजार पौधे लगाए गए है। यह पौधे उत्तरप्रदेश के बरेली जिले से बुलवाएं गए है। यह फसल 18 माह में पक जाएंगी। इस पौधे की जड़ 5 से 7 किलो ग्राम तक का होता है। एक एकड़ क्षेत्र में 25 से 35 क्विंटल सुखी जड़ प्राप्त होती है। जिसका बाजार भाव 275 रूपये से 290 रूपये प्रतिकिलो के मान से 27 हजार रूपये प्रति क्विंटल प्राप्त होगा। आज की स्थिति में 10 से 12 लाख रूपये का शुद्ध लाभ होने का अनुमान है। गिली जड़ बेचने से 12 से 15 लाख रूपये प्रति एकड़ की राशि प्राप्त होगी। जड़ छिलाई प्रोसेसिंग पर 1 लाख से डेढ़ लाख रूपये तक प्रति एकड़ का खर्च आएंगा। इसमें केवल निदाई-गुड़ाई का खर्च होता है। इसके अलावा कोई खर्चा नही है। इस फसल में गोबर व जैविक खाद का ही उपयोग किया जाता है।

इस कृषक ने 2 एकड़ क्षेत्र में गुरूकृपा नर्सरी अंजड़ से डेढ़ रूपये प्रति पौधे के मान से 13800 पौधे 20700 रूपये में पौधे लाकर टमाटर की खेती कर रहे है। इससे 500 क्विंटल टमाटर का उत्पादन होगा, जो कि 5 लाख रूपये की कीमत रखता है। इसमें सभी खर्च काटकर 3 लाख रूपये की शुद्ध आय हो जाती है। मिर्ची के तर्ज पर व्यापारियों का गांव में ही बाहर के व्यापारियों को बेची जाती है। इस कृषक ने 3 एकड़ क्षेत्र में 8 किलो भिंडी बीज कुल 27 हजार 200 रूपये में खरीदकर बोया है। दीपावली से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। पूर्व की फसल से 15 से 20 हजार रूपये की आय प्राप्त की जा चुकी है।

अब इस कृषक की आर्थिक स्थिति बहुत ही सुदृढ़ है। 10 एकड़ जमीन क्रय की गई है। इतना ही नही 4000-4000 वर्गफीट के 2 प्लाट क्रय किए गए है और 3 पक्के मकान बनाए गए है। यह सब औषधि की खेती करने संभव हो सका है। इस कृषक ने 50 प्रकार की दुर्लभ प्रजातिकी औषधि पौधों का सरंक्षण करने का कार्य भी हाथ में लिया है। उनके पास एक गीरगाय, एक निमाड़ी देशी गाय तथा 2 भैंसे है। प्रतिदिन 20 लीटर का दूध विक्रय कर रहे है। जिससे प्रतिदिन 800 रूपये की आमदनी हो रही है। मात्र दूध से प्रतिमाह 24 हजार रूपये की आय अर्जित कर रहे है। इतना ही नही इन्होंने 500 सागौन के पेड़ भी लगाए है।

कृषक परिहार ने अपने पास उपलब्ध सभी कृषि उपकरण बेच दिये है और किराये के कृषि उपकरण उपयोग कर खेती कर रहे है। घर का एक भी सदस्य खेती में काम नही करते है। प्रतिदिन 20 मजदूरों को रोजगार प्रदान कर रहे है। उनका एक ही बेटा है और वह शासकीय सेवा छोड़कर खेती के कार्य में हाथ बटा रहा है। अब यह कृषक बी.पी.एल. से करोड़पति बन गए है तथा उनका परिवार बहुत खुशहाल है। इस कृषक से अन्य किसानों को भी प्रेरणा लेकर आर्थिक क्षेत्र में उन्नति करना चाहिए।

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