
बक्सर॥ जिसे मिला टिकट वो सिकंदर, ना मिला तो बागी हुए प्रत्याशियों के विभिन्न रूप सजाये खेलों को अब बक्सर जिले के मतदाता समझने लगे हैं। जिले की कुल चार विधानसभा सीटों पर पुरजोर तरीके से इस खेल को खेला जा रहा है। हालांकि राजपुर (सुरक्षित) और डुमरांव विधानसभा की तस्बीर साफ़ हो चुकी है।
सीट बंटवारे के तहत एनडीए और महागठबंधन अपने—अपने प्रत्याशियों की छवि साफ़ कर उन्हें मैदान में उतार चुके हैं। इस बाबत राजपुर (सुरक्षित) से जदयू ने बतौर प्रत्याशी पूर्व परिवहन मंत्री संतोष निराला को, तो महागठबंधन ने कांग्रेस से विश्वनाथ राम को अपना प्रत्याशी बनाया है। 2015 के चुनाव के दौरान भी इस सीट पर दोनों ही लड़़ चुके हैं ,फर्क यह था कि तत्कालीन समीकरण के तहत विश्वनाथ राम को भाजपा ने अपना उमीदवार बनाया था। इस बार वे कांग्रेस से लड़ेंगे।
सबसे दिलचस्प स्थिति डुमरांव विधानसभा क्षेत्र की है। यहां से एनडीए ने जदयू कोटे की इस सीट पर चेहरा बदल दिया है। 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू का चेहरा ददन सिंह यादव बने थे और जीते भी थे पर पार्टी ने इस बार उनका टिकट काट कर एक नये चेहरे आलम आरा को प्रत्याशी बनाया है, वहीं महागठबंधन के तहत इस सीट पर माले का कब्जा हुआ है और प्रत्याशी बने हैं अजित कुमार सिंह।
नजाकत भरे इस महौल में टिकट कटने से रुष्ट ददन सिंह का खड़ा होना तय मन जा रहा है। पर डुमरांव राजघराने से मिली खबर के अनुसार विधानसभा की इस सीट से महाराजा शिवांग विजय सिंह भी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी खड़े हो सकते हैं। राजनीति सम्भावनाओं से भरी होती है। अगर ऐसा हुआ तो इस बार यहां की लड़ाई दिलचस्प होगी और संघर्ष भरी होगी क्योंकि चार बार डुमरांव सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके ददन सिंह यादव उर्फ़ पहलवान तो जीती हुई बाजी को पलटने का मादृा तो रखते ही हैं स्थानीय यादव में इनको लेकर यह कहावत है कि “ना खाता ना बही ददन जो कहे वही सही।”
महागठबंधन के एक और बागी उम्मीदवार पप्पू सिंह यादव, जो दो बार राजद के टिकट पर स्थानीय विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, इस बार निर्दलीय पर्चा दाखिला कर लड़ाई को बहुकोणीय बनाने के मूड में हैं। जबकि जदयू प्रदेश अध्यक्ष के खासमखास कमलेश सिंह भी जदयू टिकट के दावेदार थे,सफल ना होने पर वे चुनाव के दौर में क्या गुल खिलाएंगे देखना होगा।
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