कम समय में ही लालू यादव बन बैठा जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह, पुलिस ने किया ढेर

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मऊ। पुलिस मुठभेड़ में मारा गया एक लाख रुपये का इनामी बदमाश लालू यादव उर्फ विनोद यादव कम समय में जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया था। जीवन की शुरुआत ऑटो चलाकर की और 18 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में पहला कदम रखा। उसके खिलाफ वर्ष 2003 में हत्या का जनपद के कोपागंज थाना क्षेत्र में पहला मुकदमा दर्ज हुआ। उसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 38 साल की उम्र तक उसके ऊपर 82 मुकदमे दर्ज हो गए।
Mafia becomes auto driver - Lalu aka Vinod Yadav

आठवीं तक की पढ़ाई

विनोद यादव ने कक्षा आठ तक की पढ़ाई की। इसके बाद जीवन यापन के लिए उसने किराये का ऑटो चलाना शुरु किया। 2003 में वह स्थानीय हिस्ट्रीशीटर गैंगस्टर रमेश सिंह काका गैंग से जुड़ गया। इसके बाद वह जौनपुर में स्वर्ण व्यवसाई के दुकान से दो करोड़ की डकैती। भदोही में 25 लाख कैश बैंक की लूट, मिर्जापुर व वाराणसी में स्वर्ण व्यवसाई से लूट। जनपद में आरटीआई कार्यकर्ता बाल गोविंद सिंह को दिनदहाड़े हत्या के मामले का मुख्य आरोपित बना गया।

पत्नी बनी निर्विरोध बीडीसी

अपनी अपराधिक गति​विधियों से वह पूरे जनपद में चर्चित हो गया। इसके बाद वह राजनीति में दिल​चस्पी लेना लगा। इसी वजह से उसने अपनी पत्नी रीमा यादव को वर्ष 2015 में पंचायत चुनाव जीताकर ग्राम प्रधान बनवाया। 29 अप्रैल 2021 को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपने पत्नी को ब्लॉक प्रमुख पद के लिए 64 नम्बर वार्ड से निर्विरोध बीडीसी सदस्य बनवा दिया। निर्वाचन के बाद उसका लक्ष्य ब्लॉक प्रमुख पद को हथियाना था। लेकिन इससे पहले ही उसे पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया।

पूर्व की सरकारों से मिला संरक्षण

अति महत्वाकांक्षी रखने वाला लालू कम उम्र से ही किसी पर विश्वास नहीं करता था। वह सक्रिय राजनीति में शामिल होना चाहता था लालू। उसे पूर्व की सरकारों से संरक्षण प्राप्त था, लेकिन प्रदेश में योगी सरकार आते ही वह जिला छोड़कर फरार चल रहा था। पुलिस से छिपकर वह गांव में आता-जाता था।

पुलिस को मिली सटीक सूचना

पुलिस अधीक्षक सुशील घुले ने पत्रकारों को यह बताया कि लालू यादव पंचायत चुनाव के कारण ही गुपचुप तरीके से गांव में उसका आवागमन था, जिसकी सूचना हमारी टीम को मिली। जिसके फलस्वरूप मंगलवार की रात्रि में 3:30 बजे के आसपास उसे घेर लिया। जवाबी फायर में मौके पर ही गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल जाते वक्त उसकी रास्ते में मौत हो गई।
एसपी ने बताया कि उसने अपनी पत्नी को निर्विरोध क्षेत्र पंचायत का चुनाव जिता दिया था। और गणित में लगा था अपने पत्नी को ब्लाक प्रमुख बनाने के लिए। उस दशा में उसके पत्नी के विरोध में कोई भी उम्मीदवार विरोध करता तो रास्ता साफ करने के लिए उसकी हत्या भी कर सकता था। लिहाजा ऐसे मौके पर चुनाव को भी प्रभावित करता है।
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