त्रासदी के दौर में अनहोनी की आशंकाओं से ग्रस्त है दुनिया, कहीं ये सृष्टि के अंत के संकेत तो नहीं!

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कोरोना त्रासदी से जूझ रही दुनिया बड़ी अनहोनी की आशंकाओं से ग्रस्त है। आशंकाए भी निर्मूल नहीं हैं। इसके संकेत भी मिल रहे हैं। इस साल मौसम का मिजाज शुरू से ही बिगड़ा-बिगड़ा रहा है। हर दिन आंधी – पानी। भूकंप के झटके। पृथ्वी के नजदीक से धूमकेतु का गुजरना। विज्ञान; ज्योतिष विज्ञान और लोक अनुभव भी खतरे की चेतावनी दे रहे हैं। वैज्ञानिकों के गैरजरूरी शोधों से भी सृष्टि का संकट बढ़ा है।

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इस साल प्रारंभ से ही मौसम कृषि के प्रतिकूल रहा। बेमौसम बारिश और कई बार की ओला वृष्टि से फसलें पहले ही बर्बाद हुई थी; बची-खुची कसर कटाई और मड़ाई के समय भी आंधी-पानी और ओला वृष्टि पूरी हो गयी। लगातार मौसम परिवर्तन से किसान और आम आदमी हैरान है। ग्रामीणों का कहना है कि मौसम के साथ ही पशु-पक्षियों से भी अशुभ संकेत मिल रहे हैं।

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वैश्विक महामारी के इस दौर में आये दिन भूकंप के झटके आ रहे हैं। राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में रविवार दोपहर को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।इस माह राष्ट्रीय राजधानी में यह भूकंप का तीसरा झटका है। भारत समेत दुनिया के अन्य हिस्सों में भी आये दिन भूकंप के झटके लोगों को डरा रहे हैं।

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एक छोटे से वायरस के भी से भारत समेत पूरी दुनिया ठहर गयी है। महाबली अमेरिका मौतों से कराह रहा है। यूरोप के अधिकांश देश सदमे में हैं। भारत में भी कोरोना का कहर जारी है। इसके साथ ही भारत और अमेरिका समेत अधिकांश देशों में अलग अलग तरह की असाध्य बीमारियां भी लोगों की जाने ले रही हैं। कोरोना वायरस के उन्मूलन के प्रयासों के बीच कोरोना को लेकर दुनिया के देश महायुद्ध की तैयारियां भी कर रहे हैं। दुनिया दो गुटों में बट चुकी है।

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इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि दूसरे ग्रहों से लाए गए मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर किसी नए वायरस का खतरा बढ़ा सकते हैं। प्रोफेसर स्कॉट हबार्ड ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दुनिया को भविष्य में भी कोरोना जैसी अदृश्य महामारी का सामना करना पड़ेगा। स्कॉट हवार्ड ने बताया कि मंगल ग्रह की लाखों साल पुरानी चट्टानों में अभी सक्रिय जीवन सूत्र होगा; जो पृथ्वी पर आने के बाद तेजी ये वायरस के रूप में फैल सकता है।

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इन सबके बीच लोग दुनिया के अंत की बातें करने लगे हैं। नास्त्रेदमस जैसे भविष्य वक्ताओं की भविष्यवाणियों से भी दुनिया के अंत की चर्चाओं को बल मिला है। लोक अनुभव भी इस तरह की आशंकाओं से सहमत है।

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