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उत्तराखंड ॥ सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के मुनस्यारी के लास्पा गाड़ गधेरे पर लकड़ी का अस्थाई पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण स्थानीय लोगों के साथ ही सेना को भी आवाजाही के लिए दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। सेना के जवान अपनी जान जोखिम में डालकर इसी रास्ते से रसद और हथियार चीन सीमा पर भारतीय फौजों को पहुंचाते हैं।

Uttarakhand-Pithoragarh-Indian Army-ITBP-Damaged Bridge

यहां के पूर्व प्रधान लक्ष्मण सिंह धप्वाल ने बताया कि इसी मार्ग से सेना रसद सामग्री और हथियार सीमा पर पहुंचाती हैं। सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण चीन सीमा से लगी जोहर घाटी के लास्पागाड़ गधेरे पर पक्का पुल न होने कारण भारतीय सेना के जवानों को जान जोखिम में डालकर सीमा तक पहुंचना पड़ता है। इस पुल से लस्पा, रिलकोट, मर्तोली, लवां, मापा, मिलम, तोला, सुमतु, खिलात जैसे दर्जन भर गांवों के बाशिंदों का आना जाना लगा रहता है।

हाल के दिनों में इस पुल में दर्जनों बकरियां गिर चुकी हैं। इन दिनों सुबह के समय तो पानी का बहाव कम रहता है लेकिन दिन के समय ग्लेशियर पिघलने से पानी की आवक बढ़ने से बहाव तेज हो जाता है, जो क्षेत्र की जनता के लिए भी खतरा बना हुआ है। क्षेत्र के 9 माइग्रेशन गांवों के लोगों को भी इधर-उधर आने जाने के दौरान इस रास्ते पर भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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वर्तमान में पक्के पुल के अभाव में चीन से लगी भारतीय सीमा में लास्पा गाड़ गधेरे के इसी अस्थायी पुल से ही भारतीय सैनिक, आईटीबीपी के जवान और स्थानीय लोग आवाजाही करने को मजबूर हैं। बरसात का मौसम शुरू होने को है और अस्थाई पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है। पूर्व प्रधान लक्ष्मण सिंह ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि क्षेत्र पर स्थायी पुल का निर्माण किया जाये, क्योंकि अस्थाई पुल से खतरा बना हुआ है जो किसी दिन बड़ी घटना का सबब बन सकता है।

गौरतलब है कि पिछले साल हुई भीषण बर्फबारी के कारण यहां पर पुल ध्वस्त हो गया था। इसके बाद यहां पर अस्थायी पुल का निर्माण किया गया, जो अब पूरी तरह जर्जर हो गया है। हालांकि इस मामले में लोक निर्माण विभाग के कनिष्ठ अभियंता महेश कुमार का कहना है कि मानसून की बारिश से पहले ही जल्द इस जर्जर पुल को ठीक कर लिया जाएगा।

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