लखनऊ में दारू के नशे में रहीसजादे एक गरीब को कार से कुचला कर मार देते हैं लेकिन पुलिस अभी तक पता कर रही है कि कार में कौन-कौन था....वैसे भी इस देश में कभी भी न्यायिक चरित्र रहा ही नहीं.....!!!
रहीसजादों ने एक गरीब ठेले वाले को रौंद दिया,
दावा है...कार सवार नशे में थे..
पुलिस के पास कार का नंबर है, मलिक का पता है, लेकिन पुलिस का कहना है ..कार में कौन लोग सवार थे ये अभी नहीं पता..हादसा हुए दो दिन बीत चुके हैं... नकारेपन का अंदाज़ा लगाइए..!!
जब एक पुलिस अफसर का इकलौता बेटा हादसे का शिकार हुआ था तब चंद घंटों में कार्रवाई हुई थी....FIR गैर इरादतन हत्या में दर्ज हुआ था...आरोपी जेल भेजा गया था, उसके पिता पर भी केस हुआ था..मतलब घटना एक जैसी और कार्रवाई अलग-अलग…ऐसा क्यों?
इस देश में एक गरीब का सौभाग्य है कि वह किसी रहीसजादे की कार से मोक्ष को प्राप्त हो...ऐसी मौत के लिए गरीब और बिना सोर्स का आदमी तरसता है...गरीब आईसक्रीम बेचने वाला मोक्ष को प्राप्त हुआ....अक्सर इस तरह की मौतें ब्लैंक चेक हुआ करती हैं....लाश तो फुंक जाएगी लेकिन कुछ नकारों को पैसा दे जाएगी....जबकि मरने वाले का परिवार फिर से किसी और मौत का इंतजार करेगा.... असल न्याययिक चरित्र यही है..
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