Indian Railways: तीस साल के इंतजार के बाद आखिरकार भारतीय रेलवे पर्यटकों और यात्रियों को बड़ी खुशखबरी देने जा रहा है। केंद्र सरकार ने अब दिल्ली से 5 नई ट्रेनें चलाने के प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। यात्री अब बिना ठंड महसूस किए बर्फ से ढकी घाटियों के नज़ारे का आनंद ले सकेंगे। दरअसल, रेलवे अब एक ऐसी स्लीपर ट्रेन चलाने जा रहा है, जिसके कोचों में हीटिंग डिवाइस लगाए गए हैं। इसके साथ ही सुरक्षा का भी खास ख्याल रखा गया है, ताकि आतंकी इन ट्रेनों के जरिए घाटी तक न पहुंच सकें। इसके साथ ही जनवरी 2025 यानी अगले महीने से इन रूटों पर ट्रेनें रफ्तार से दौड़ने लगेंगी। यानी जल्द ही बुकिंग भी शुरू हो जाएगी।
भारतीय रेलवे के एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ये स्लीपर एसी ट्रेनें होंगी जिनमें कोच के अंदर हीटिंग की सुविधा होगी, क्योंकि मार्ग का कुछ हिस्सा बर्फ से ढका हुआ है और वो उससे आराम से गुजर जाएगा। अधिकारी ने बताया कि इन ट्रेनों के लिए रैक बनाने का काम पूरा हो चुका है और ट्रेनें चलने के लिए तैयार हैं, जो नए साल के जनवरी महीने से कुछ रूटों पर चलने लगेंगी।
सभी ट्रेनें एक साथ नहीं चलेंगी। इन ट्रेनों में 22 कोच होंगे। इसके साथ ही इन रूटों पर वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का भी इंतजार करना होगा। उन्होंने आगे बताया कि वंदे भारत ट्रेन उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट (यूएसबीआरएल) के कटरा से बारामूला खंड (लगभग 250 किमी) पर चेयर कार सीटिंग के साथ आठ कोचों के साथ चलती है। चलाया जाएगा
माइनस डिग्री तापमान में भी स्पीड बरकरार रहेगी
इन ट्रेनों को हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। कोच के पहिये और इंजन की विंडशील्ड को बर्फ जमा होने से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अतिरिक्त, ऑन-बोर्ड हीटिंग शून्य से नीचे तापमान की स्थिति में किसी भी जमा बर्फ को पिघलाना शुरू कर देगा। ट्रेन की सुरक्षा पर भी काफी जोर दिया गया है। प्लेटफार्म छोड़ने से पहले कोचों को दोनों तरफ से सैनिटाइज किया जाएगा। श्रीनगर जाने वाले यात्रियों को एयरपोर्ट पर की जाने वाली सुरक्षा जांच की तरह ही विशेष सुरक्षा जांच से गुजरना होगा। इन ट्रेनों में सामान्य ट्रेनों की तुलना में अधिक आरपीएफ जवान तैनात किए जायेंगे।
बता दें कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में लोकसभा में कहा था कि कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ने वाली परियोजना अब तैयार है और अगले चार महीनों में इस रूट पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
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