उषा कोर्राम ये वो नाम है जिसकी चर्चा बस्तर से निकलकर देश भर में हो रही है। उषा लखपति दीदी के नाम से जानी जाती हैं। उनका नाम तब चर्चा में आया जब स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से उषा कोर्राम का जिक्र किया। जिसके बाद लोगों में उनके बारे में जानने की होड़ मच गई।
लखपति दीदी के संघर्ष की कहानी बस्तर के माथे में लगी लाल आतंक की कलंक को मिटाने में बड़ी भूमिका निभा रही है। मजदूर बेटी से लखपति दीदी तक का सफर कैसा रहा, ये जानने के लिए हमारे संवाददाता ने उनसे खास बातचीत की। जश्ने आजादी के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बस्तर की उषा का नाम लिया। उसक नाम लिखकर उन्होंने जिक्र किया कि बस्तर की बेटियां भी लखपति बन रही है।
कोंडागांव जिला मुख्यालय से 32 किमी की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत बादालुर की उषा कोर्राम काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. इनके परिवार में कुल 9 सदस्य हैं. कृषि भूमि कम होने और कोई रोजगार नहीं होने की वजह से पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. लखपती दीदी योजना की मदद से उनके आर्थिक हालात सही हुए. अब वह लखपति दीदी के तौर पर पहचानी जाने लगी हैं.
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