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ज्ञान विज्ञान की ओर ले जाने वाले गुरू को भगवान का दर्जा दिया जाता है। हमारे जीवन में गुरू का बड़ा महत्व है। हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

देश के पहले उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति, विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन स्टूडेंट्स के जीवन को आकार देने में उनकी अहम भूमिका वाले शिक्षकों को समर्पित है। हमारे यहां इस तारीख को मनाने का अपना अलग महत्व है।

दरअसल, यह दिन खासतौर पर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया जाता है, जिनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। डॉक्टर राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति होने के साथ ही एक महान विद्वान, दार्शनिक और भारतरत्न प्राप्तकर्ता थे। आइए शिक्षक दिवस के मौके पर जानते हैं इस दिन के इतिहास और इसके महत्व के बारे में।

इस वजह से 5 सिंतबर को मनाया जाता है शिक्षक दिवस

सन् 1962 में जब डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पद भार संभाला तो उनके छात्र 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे। तब राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो मुझे गर्व होगा। उनके शिक्षक के बाद पहली बार साल 1962 में शिक्षक दिवस मनाया गया था।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन के 40 बरस एक टीचर के रूप में देश को समर्पित किए थे। उन्होंने हमेशा से ही शिक्षकों के सम्मान पर जोर दिया। उनका कहना था कि एक असली शिक्षक समाज को सही दिशा देने में अहम भूमिका निभाता है। 

एक सच्चा शिक्षक अपने शिष्य को विपरीत हालातों का सामना करना सिखाता है और उनका जीवन सुधारने में अहम योगदान देते हैं। इसलिए शिक्षकों की अनदेखी ठीक नहीं। यह दिन शिक्षकों द्वारा दिए गए इन सभी योगदानों के प्रति आभार व्यक्त करने का एक बेहतरीन मौका है। एक तरफ जहां भारत में पाँच सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है तो वहीं दुनिया के कई देशों में यह दिन एक महीने बाद यानी 5 अक्टूबर को सेलिब्रेट किया जाता है।