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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। प्रदेश में सरकार के पोस्टरों व बैनरों के साथ विधायक के घर में आगजनी की घटना के बाद इस प्रदर्शन ने पूरी तरह से हिंसक रूप ले लिया है। वैसे तो महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग काफी सालों से उठती आई है, पर इस ताजा आंदोलन के केंद्र में 41 वर्षीय मनोज जरांगे हैं।

ऐसे में प्रश्न ये है कि आखिर मनोज जरांगे कौन हैं, जिनकी भूख हड़ताल ने सरकार के होश उड़ा दिए है। तो आईये आपको मनोज जरांगे के बारे में बताते हैं।

राज्य में मराठा जाति के नेता मनोज पाटिल की अगुवाई में आरक्षण की मांग इन दिनों तेजी से बढ़ रही है। कुछ वक्त पहले मनोज पाटिल ने राज्य सरकार को मराठा आरक्षण पर निर्णय़ लेने के लिए 40 दिनों का वक्त दिया था। सरकार द्वारा जब कोई फैसला नहीं लिया गया तो वे भूख हड़ताल पर बैठ गए। मनोज बीड के रहने वाले हैं, पर वे जालना के एक होटल में कार्य करते हैं। शुरू में वे कांग्रेस के कार्यकर्ता थे, फिर बाद में उन्होंने मराठा समुदाय के लिए शिव संगठन बनाया। मनोज ने इंटर तक पढ़ाई की है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने मराठा आरक्षण के आंदोलन में फंड इकट्ठा करने के लिए अपनी जमीन भी बेच दी। मनोज ने 2011 से अब तक आरक्षण के लिए 35 बार विरोध प्रदर्शन किए हैं और सरकार को साफ चेतावनी देते हुए कहा है कि मराठा प्रदर्शनकारियों को परेशान मत करो, वरना मैं खुद सड़क पर धरने पर बैठ जाऊंगा। यदि गरीब मराठाओं पर मुकदमा दर्ज किया तो मैं खुद कलेक्टर के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठूंगा। जंग ने यह तक कह दिया कि यदि मैं बीड आया तो आपको पता चलेगा कि मराठा क्या होते हैं। सरकार ने अब तक जो भी निर्णय लिए हैं, वह मुझे मंजूर नहीं है।

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