यूपी किरण डेस्क। गाजा में इस्राइल-हमास के बीच करीब पांच महीने से जारी संघर्ष का अंत नहीं नजर आ रहा है। इस युद्ध में अब तक तीस हजार से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं। युद्ध विराम की तमाम कोशिशें नाकाम हो रही हैं। इस बीच इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अहम वजहों से काहिरा में प्रस्तावित संघर्ष विराम समझौते को लेकर होने वाली वार्ता में शामिल न होने की घोषणा की है।
युद्ध के बीच आशा बंधी थी कि एक बार फिर जंग को थोड़े समय के लिए रुकवाकर बंधकों को आजाद कराया जा सकता है। इसके लिए काहिरा में बैठक प्रस्तावित थी। लेकिन अब इस उम्मीद पर भी पानी फिर चूका है। इस्राइल ने गाजा संघर्ष विराम और बंधकों को रिहा कराने के लिए वार्ता के लिए अपने प्रतिनिधिमंडल को काहिरा नहीं भेजने का फैसला लिया है।
दरअसल, हमास ने उसकी दो मांगों को मानने से इंकार कर दिया है। इस्राइल इस्राइल ने बंधकों की एक सूची मांगी थी, जिसमें हमास को बताना था कि कितने बंधक जीवित है और कितने मर गए। दूसरी बंधकों के बदले में इस्राइल की जेलों से रिहा होने वाले फलस्तीनी कैदियों के अनुपात की पुष्टि करना।
गौरतलब है कि इस्राइल और हमास के बीच पांच महीने से अधिक समय से जंघ जारी है। इस युद्ध में फलीस्तीनियों का हाल बेहाल है। अब तमाम लोग भूख से दम तोड़ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उम्मीद जताई थी कि सोमवार तक अर्थात आज इस्राइल और हमास के बीच युद्धविराम हो सकता है। लेकिन हमास के लचर रवैये के कारण इस्राइल ने काहिरा में होने वाली वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया है। हालांकि हमास का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को ही काहिरा पहुंच चुका है, उसने उम्मीद जताई थी कि बातचीत से दुश्मनी खत्म हो जाएगी।
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