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धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मथुरा में हुआ था। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन देश भर में उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की विधि-विधान से आराधना की जाती है। इस दिन व्रत भी रखे जाने की परंपरा है। आइए जानते हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी डेट, पूजा-विधि, महत्व और सामग्री के बारे में…

मथुरा, वृदांवन में इस दिन मनेगी जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार श्री कृष्ण जन्मस्थान, द्वारिकाधीश और बांके बिहारी मंदिर में 19 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा।

पूजा- विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।
  • इसके बाद मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • अब मंदिर में विराजमान सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।
  • इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करने का विधान है।
  • लड्डू गोपाल का जलाभिषेक कर उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
  • अब उन्हें झूले में बैठाएं और झूला झूलाएं।
  • अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। उन्हें मिश्री, मेवा का भोग भी लगा सकते हैं।
  • लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की भांति करें।
  • इस दिन रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।
  • लड्डू गोपाल की आरती करें और उनका ध्यान करें।                                                                                                                                                                                                                                                                                                Skin Care: इन 4 विटामिन की कमी से खराब हो जाता है चेहरा, चला जाता है ग्लो 

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