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झारखंड। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। बीते दिनों उनके करीबियों पर हुई सीबीआई की छापेमारी के बाद अब सरेनी की ही विधानसभा की सदस्यता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। दरअसल ऑफिस ऑफ प्रॉफिट केस में हेंमत सोरेन मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं। चुनाव आयोग ने सोरेन की विधानसभा सदस्‍यता रद्द करने की सिफारिश की है। उनकी सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेज भी दिया गया है।

गौरतलब है कि ये मामला अवैध खनन मामले से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि इस मामले में मुख्यमंत्री सीएम हेमंत सोरेन पर खुद को एक खनन पट्टा आवंटित करने का आरोप लगा है। ऐसे में बीजेपी ने उनको विधायक के रूप में अयोग्य ठहराने की मांग की थी। अब चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल को सोरेन की सदस्यता रद्द करना का प्रस्ताव भेज दिया है। इस मामले की जांच चुनाव आयोग ने की।

मामले की सुनवाई के वक्त मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की टीम ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव कानून के वे प्रावधान मामले में लागू नहीं होते जिनका उल्लंघन करने का आरोप उन पर लगाया जा रहा है। आपको बात दें कि सोरेन की लीगल टीम ने 12 अगस्त को चुनाव आयोग के सामने अपनी दलीलें पूरी की थी। इसके बाद मामले में याचिकाकर्ता भाजपा ने जवाब दिया था। दोनों पक्षों की तरफ से बीते 18 अगस्त को चुनाव आयोग लिखित दलीलें सौंप दी गई थी।

ये है कानूनी नियम

बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत, अगर कोई प्रश्न उठता है कि क्या किसी राज्य के विधानमंडल के सदन का कोई सदस्य किसी अयोग्यता के अधीन हो गया है, तो ये प्रश्न राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। इस पर राजयपाल ही अंतिम निर्णय लेगा। इसके अनुसार ‘इस तरह के किसी भी प्रश्न पर कोई फैसला देने से पहले, राज्यपाल निर्वाचन आयोग की राय लेगा और उसकी राय के अनुसार निर्णय लेगा।

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