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Jharkhand News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र का ऐलान किया, जिसमें राज्य के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का वादा किया गया है, जबकि आदिवासी समुदायों को UCC से छूट दी गई है। उन्होंने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों पर “झूठे बहाने से आदिवासी लड़कियों से शादी करके” आदिवासी भूमि हड़पने का इल्जाम लगाया।

उन्होंने कहा, “घुसपैठ के कारण आदिवासी आबादी कम हो रही है। सोरेन सरकार इनकार कर रही है। हमने असम में इसे रोका और यहां भी ऐसा करेंगे।”

आगे उन्होंने कहा कि “हम घुसपैठियों में से प्रत्येक की पहचान करेंगे और उन्हें निर्वासित करेंगे और उपहार-पत्रों के माध्यम से आदिवासियों से हड़पी गई जमीनों को वापस लेंगे।” शाह ने कहा कि अगर एनडीए सत्ता में आती है तो उत्तराखंड की तर्ज पर झारखंड में भी यूसीसी लागू किया जाएगा। लेकिन आदिवासियों को इससे बाहर रखा जाएगा। इसी बात को लेकर अब तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं।

आपको बता दें कि जनसंघ के वक्त से ही समान नागरिक संहिता दक्षिणपंथी पार्टी का लक्ष्य रहा है। बीते कई वर्षों से इसके दायरे से आदिवासियों को बाहर रहने की बात अलग से जोड़ दी गई।

दरअसल भारतीय जनता पार्टी को सवर्णों की पार्टी के रूप में देखा जाता था। ऐसे में दलितों और आदिवासियों को वोट बैंक को रिझाना एक बड़ी चुनौती थी। बीते कल को एक जनसभा के दौरान अमित शाह ने कहा कि आदिवासी समाज की विरासत और पहचान की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।

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