कालाजार उन्मूलन का जायजा लेने पहुंची जेएमएम टीम, मरीजों से मिलकर जाना हाल

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कुशीनगर। कालाजार उन्मूलन का हाल जानने के लिए गुरूवार को ज्वाइंट मानीटरिंग मिशन( जेएमएम) की दो उच्च स्तरीय टीम कुशीनगर पहुंची। दोनों टीमों ने कुबेरस्थान क्षेत्र में कालाजार उन्मूलन के लिए की गयी निरोधात्मक कार्यवाही एवं जन जागरूकता कार्यक्रम के बारे जानकारी ली। टीम ने मरीजों के घर भी जाकर उनसे इलाज संबंधी जानकारी ली। पहली टीम के लीडर डाॅ.सुभाष सालुंखे और डाॅ. हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव सबसे पहले नाहर छपरा गांव के सेमरहना व जोलई टोला पर पहुंचे। वहां कालाजार मरीज सुबाष व सुभावती से मिलकर इलाज, छिड़काव, औषधीय मच्छरदानी तथा श्रमह्रास के बारे जानकारी हासिल की। ग्राम प्रधान से भी जानकारी ली।

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यहाँ से यह टीम बंगाली पट्टी के टोला टिकुलिया जाकर ग्रामीणों से कालाजार उन्मूलन के लिए कराए जाने वाले छिड़काव एवं अन्य निरोधात्मक गतिविधियों के बारे में पूछा।इस टीम के साथ कुबेरस्थान के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाॅ .सतीश चन्द्र, डब्ल्यूएचओ के जोनल को आर्डिनेटर डाॅ. सागर घोडेकर भी मौजूद रहे । दूसरी टीम के डाॅ. नियामत अली सिद्दीकी, डाॅ.रजत राना सेमरिया बाजार गये। इस टीम के साथ डब्ल्यूएचओ के स्टेट को-आर्डिनेटर कालाजार डाॅ. तनुज शर्मा, राज्य कार्यक्रम अधिकारी कालाजार डाॅ.बिन्दु प्रकाश सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी पीपी मिश्रा व सहायक मलेरिया अधिकारी अनिल कुमार चौरसिया भी मौजूद रहे।

इस टीम ने काला प्रभावित गाँवों सेमरिया बाजार जाकर वहां पर की गयी निरोधात्मक कार्यवाही व जन जागरूकता कार्यक्रम के बारे में जानकारी हासिल की। इसके बाद दोनों टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कुबेरस्थान गयी। टीम के लोगों ने वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ . सुरेश गुप्ता, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाॅ.सतीश चंद्र , डाॅ. रविभूषण, स्वास्थ्य पर्यवेक्षक पंकज श्रीवास्तव सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बैठक कर कालाजार उन्मूलन के बारे में समीक्षा की।

क्या है कालाजार

जिला मलेरिया अधिकारी पीपी मिश्रा ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पायी जाती है। यह छह फीट की ऊंचाई तक ही उड़ पाती है। इसके काटने व्यक्ति बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है। रूक रूक कर बुखार चढ़ता उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक से दिखाना चाहिए। इस बीमारी से मरीज का पेट फुल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर काला पड़ जाता है। सरकारी अस्पतालों पर कालाजार जांच के लिए किट उपलब्ध है। जांच निःशुल्क होती है।

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