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देश के 2 करोड़ से ज्यादा यात्री रोजाना रेलगाड़ी से सफर करते हैं। रेल चलने से पहले यात्रियों को हल्का झटका लगा। ट्रेन चलने से पहले झटका क्यों लेती है? कभी इसके बारे में सोचा? देश में कई ट्रेनें ऐसी हैं। मगर सभी ट्रेनें ऐसी नहीं हैं।

यदि आपको हल्का स्ट्रोक है, तो आप एलएचबी कोच में हैं। जिन ट्रेनों में एलएचबी कोच होते हैं, उनमें ट्रेन चलने से पहले हल्के झटके लगते हैं।

कपलिंग के कारण ट्रेन के दो डिब्बे एक दूसरे से जुड़े होते हैं। कपलिंग का पुराना डिज़ाइन वह है जहां ट्रेन के डिब्बे एक दूसरे से जुड़े होते हैं। जब कोई कोच ट्रेन शुरू होती है तो एलएचबी झटके को नहीं रोक सकता। तो ये झटका यात्रियों को भी लगता है। नई ट्रेनों में ये झटके नहीं होते। क्योंकि इसमें ऐसे सस्पेंशन लगाए गए हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फर्स्ट टाइम रेल की परिकल्पना सन् 1604 में इंग्लैण्ड के वोलाटॅन में हुई थी जब लकड़ी द्वारा निर्मित पटरियों पर काठ के डब्बों की शक्ल में तैयार किये गए रेलगाड़ी को घोड़ों ने खींचा था। इसके दो शताब्दी बाद फरवरी 1824 में पेशे से इंजीनियर रिचर्ड ट्रवेथिक को पहली दफा भाप के इंजन को चलाने में कामयाबी मिली। 

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