
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव यानी भगवान शिव (Kalashtami 2021) के रुद्र रूप की पूजा करने का विधान है। कहते हैं कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को विधि-विधान के साथ काल भैरव पूजा-अर्चना और व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन कई तरह की उपाय कर के भगवान काल भैरव को प्रसन्न किया जाता है जिससे मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस बार पौष माह की अष्टमी तिथि 27 दिसंबर दिन सोमवार को पड़ रही है। इसे कालाष्टमी या भैरवाष्टमी भी कहते हैं।
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि काल भैरव (Kalashtami 2021) भगवान शिव का वाममार्गी स्वरूप हैं। ऐसे में इनकी तांत्रिक पूजा का विशेष विधान है लेकिन गृहस्थ लोग सात्विक विधि से भी काल भैरव की पूजा अर्चना कर सकते हैं। आइए जानते हैं पौष माह की कालाष्टमी तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
तिथि और मुहूर्त
पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कालाष्टमी (Kalashtami 2021) 26 दिसंबर को रात्रि 08 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और 27 दिसंबर को शाम 07 बजकर 28 मिनट पर खत्म होगी। 27 दिसंबर को उदया तिथि और प्रदोष काल पड़ने की वजह से अष्टमी तिथि 27 दिसंबर को ही मान्य होगी।
पूजन विधि
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धार्मिक मान्यता है कि काल भैरव (Kalashtami 2021) की विधि विधान से पूजा करने से काल यानि मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। कालभैरव की पूजा करने वाले पर सभी प्रकार के यंत्र, तंत्र, मंत्र निष्प्रभावी हो जाते हैं और भूत-प्रेत बाधा से भी छुटकारा मिल जायेगा।
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कालाष्टमी के दिन सुबह स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें और दिन भर फलाहार के साथ व्रत करें और प्रदोष काल में पूजा अर्चना करनी चाहिए।
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कालाष्टमी के दिन मंदिर या घर में ही किसी भी साफ स्थान पूजा पाठ कर सकते हैं। इसके लिए किसी भी साफ स्थान पर कालभैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें व फिर चारों तरफ गंगाजल छिड़कें और उन्हें फूल अर्पित करें।
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इसके बाद भगवान काल भैरव की धूप, दीप से पूजन कर नारियल, इमरती, पान, मदिरा का भोग लगाएं।
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पूजा के समय कालभैरव के समक्ष चौमुखी दीपक जलाएं और भैरव चालीसा व मंत्रों का जाप करें।
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पूजा के आखिर में आरती जरूर करें।
एसजेवीएन और डीवीसी ने इस परियोजना की स्थापना के लिए किया समझौता
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