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kejriwal arrest: दिल्ली की निचली अदालत ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में एजेंसी द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को 3 दिन की हिरासत में भेजने का आदेश दिया। विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत ने स्पष्ट किया कि जांच के निष्कर्षों, उनकी कथित भूमिका और सबूतों के साथ उनका सामना करने की जरुरत के कारण केजरीवाल की कस्टडी जरुरी थी। उन्होंने एजेंसी को "अति उत्साही" होने के खिलाफ भी चेतावनी दी।

कोर्ट ने गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने से इनकार करते हुए कहा कि हालांकि कार्रवाई का समय "विवेकपूर्ण" हो सकता है, लेकिन यह गिरफ्तारी को अवैध मानने का एकमात्र कारण नहीं हो सकता।

प्रमुख घटनाक्रम पर एक नजर

जज ने कहा कि जांच करना सीबीआई का विशेषाधिकार है, लेकिन कानून में कुछ सुरक्षा उपाय भी शामिल हैं। उन्होंने प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर अपना निर्णय लिया और निर्धारित किया कि मामले के इस बिंदु पर गिरफ्तारी को अवैध नहीं माना जा सकता। हालांकि, जज ने एजेंसी को चेतावनी दी कि वह अति उत्साही न हो।

न्यायाधीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे केजरीवाल की मेडिकल जांच करवाएं और उन्हें हर दिन 30 मिनट के लिए अपनी पत्नी और वकील से मिलने की अनुमति दें। रिपोर्टों के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री को अपने साथ 'भगवद्गीता' रखने की अनुमति है। अदालत ने कहा कि रिमांड अवधि के दौरान घर का बना खाना भी खाने की अनुमति है।

सीबीआई ने ये कदम दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद उठाया है जिसमें कुछ दिन पहले राउज एवेन्यू अदालत द्वारा आप प्रमुख को दी गई जमानत पर रोक लगा दी गई थी।

सीबीआई के अनुसार, केजरीवाल ने कथित तौर पर राष्ट्रीय राजधानी में शराब के कारोबार में सहयोग के बदले में मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, जो उस समय वाईएसआरसीपी के लोकसभा सांसद थे, उनसे आम आदमी पार्टी (आप) को आर्थिक योगदान देने का अनुरोध किया था।

एजेंसी ने ये भी आरोप लगाया कि आप को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली और गोवा चुनाव अभियान के लिए 44.45 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

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