खिचड़ी मेला

img

मेला हमारे देश की पुरानी परंपरा है। हर्ष और उत्सव के मौके पर मेले के आयोजन होते हैं। मकर संक्रांति अर्थात खिचड़ी पर्व पर तो देश के कोने-कोने में खिचड़ी मेला लगता है। गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर परिसर में विश्व प्रसिद्ध खिचड़ी मेला लगता है। खिचड़ी के दिन गोरखनाथ मंदिर में प्रसाद के रूप में खिचड़ी चढ़ाई जाती है। सबसे पहले गोरखनाथ मठ के महंत खिचड़ी चढ़ाते हैं उसके बाद नेपाल के राजा की खिचड़ी चढ़ती है। इसके बाद सभी श्रद्धालु बारी-बारी से भगवान् गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं।

Khichdi fair

खिचड़ी पर मुख्य मेला गोरखपुर के नाथ संप्रदाय से जुड़े बाबा गोरखनाथ मंदिर के परिसर में लगता है। यह मेला एक महीने से अधिक समय तक लगता है। खिचड़ी मेला देखने के लिए गोरखपुर के अलावा बिहार, नेपाल से भी लोग आते हैं। अब तो दुनिया के तमाम देशों से लोग खिचड़ी मेला देखने गोरखपुर आते हैं। मेले में आने वाला व्यक्ति या परिवार बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी और तिल के लड्डुओं का भोग लगाते हैं। इसके बाद यहां आए श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटते हैं।

माना जाता है कि तेहरवीं शताब्दी के दौरान जब अलाउद्दीन खिलजी ने गोरक्ष पीठ मंदिर पर आक्रमण किया तो नाथ संप्रदाय के योगियों ने खिलजी सेना का डटकर मुकाबला किया। इस दौरान नाथ योगियों को पाष्टिक भोजन की कमी हो रही थी। बाबा गोरखनाथ ने इसका समाधान निकाला। उन्होंने साधु-संतों के पास रखे अनाज को एक साथ पकाने के लिए कहा। इस तरह खिचड़ी बनी। नाथ योगियों को यह भोजन स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्धक लगा और उन्होंने इसका नाम खिचड़ी रखा।

खिलजियों से मुक्ति मिलनेके बाद नाथ योगियों ने मकर सक्रांति को विजय पर्व के रूप में मनाया। इसके बाद से मकर संक्रांति पर्व पर यहां विजय पर्व मनाया जाने लगा। यही विजय पर्व बाद में खिचड़ी मेले के रूप में प्रसिद्ध हुआ। वर्तमान समय में गोरखपुर की तर्ज पर देश के विभिन्न जनपदों में अनेक मेलों का आयोजन होता है।

मकर संक्रांति के अवसर पर लाखों की तादाद में श्रद्धालु गोरखपुर पहुंचते हैं। मंदिर पहुंचने के बाद हर श्रद्धालु को बाबा गोरखनाथ की खिचड़ी प्रसाद के रूप में मिल सके, इसके लिए गोरक्षपीठ प्रबंधन भंडारे का इंतजाम भी करता है। इसी तरह देश के लगभग हर नगर में खिचड़ी का भंडारा होता है।

Related News