Kisan Andolan : अवध और पूर्वांचल की पंचायतों में जुट रही अपार भीड़, सकते में योगी सरकार

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लखनऊ। सौ दिनों से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सरहदों पर चल रहा किसान आंदोलन (Kisan Andolan) अब देशव्यापी हो चूका है। अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो अब ये आंदोलन पश्चिमी यूपी से आगे अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में भी फ़ैल चूका है। बुधवार को बलिया जिले में हुई किसान-मजदूर महापंचायत में अपार जुटी भीड़ जुटी, जिसे किसान नेता राकेश टिकैत ने संबोधित किया। इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत अवध के बाराबंकी और पूर्वांचल के मुंडेरवा (बस्ती) में किसान महापंचायतों को संबोधित कर चुके हैं। राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी लखीमपुर खीरी व बस्ती में किसान पंचायतें कर चुके हैं। सूबे विस्तारित होते आंदोलन से योगी सरकार सकते में है।

 

नए कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन चरम पर है। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के पक्ष में खाप पंचायतें पहले से ही आ कमर कसे हैं। गांवों में भाजपा नेताओं का विरोध और सामाजिक बहिष्कार भी हो रहा है। गांवों में भाजपा नेताओं के आने की पाबंदी के बैनर भी लगे हैं। भाजपा नेता, सांसद, मंत्री और विधायक गांवों में जाकर लोगों से संपर्क कर उन्हें कृषि कानूनों के फायदे बता रहे हैं। इस दौरान उन्हें किसानों के प्रबल विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर भकियू के धरने शामिल होते रहे हैं। ये किसान अब अपने क्षेत्रों में भी लोगों तीनों कृषि कानूनों और सरकार के हठधर्मी रवैये के खिलाफ जागृत कर रहे हैं। अब तो इन क्षेत्रों में भाकियू की महापंचायतें भी हो रहीं हैं। भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा ने कहा कि जल्द ही वाराणसी, मिर्जापुर, गोरखपुर, फतेहपुर और बुंदेलखंड में भी पंचायतें गूंगी।

उल्लेखनीय है कि अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड खेती-किसानी का कोई पुरसाहाल नहीं है। अवध और पूर्वांचल की सहकारी व सरकारी चीनी मिलें बिक चुकी हैं। रोजगार के अन्य साधन भी नहीं हैं। ऐसे में यहां का युवा तबका महानगरों में पलायन के लिए मजबूर है। ज्यादातर गांवों में सिर्फ बुजुर्ग बचे हैं, तमाम घरों में ताले लटके हैं। कोरोनाकाल में बड़ी तादाद में कामगार वापस गांव लौटे हैं।  अधिकांश लोगों के पास काम नहीं है। सीएम योगी सभी को रोजगार देने के दावे तो कर रहे हैं लेकिन जमींन पर कुछ दिख नहीं रहा है।
हालांकि अभी भी किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को लेकर सरकार और भाजपा नेताओं का रवैया आहत करने वाला है। टीवी चैनलों की डिबेट में भाजपा प्रवक्ता किसानों का अपमान कर रहे हैं। भाकियू ने भाजपा नेताओं को चेतावनी दी है कि वे किसानों का अपमान करने से बाज आएं। इस महीने अवध और पूर्वांचल में किसानों के तेवर से योगी सरकार सकते में आ गई है।
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