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Up kiran,Digital Desk : बिहार की राजनीति में सबसे चर्चित और रसूखदार माने जाने वाले 'लालू परिवार' के लिए वक्त थोड़ा मुश्किल चल रहा है। 2025 के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद अब एक और बुरी खबर आई है। चुनाव में हार का सामना करने के बाद लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) से उनका सरकारी आवास छीन लिया गया है। सिर्फ तेज प्रताप ही नहीं, बल्कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को भी अपना वो घर छोड़ना होगा, जहाँ वो पिछले 20 सालों से रह रही थीं।

आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर लालू परिवार के साथ अचानक ये सब क्यों हो रहा है और अब उनका नया ठिकाना क्या होगा।

सियासत में चढ़ाव और उतार तो आते रहते हैं, लेकिन जब इसका असर आपके घर-बार पर पड़ने लगे, तो तकलीफ थोड़ी ज्यादा होती है। बिहार के सियासी गलियारों से बड़ी खबर आ रही है। एनडीए सरकार ने लालू प्रसाद यादव के परिवार को एक साथ दो बड़े झटके दिए हैं। पहला झटका बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को लगा है और दूसरा झटका खुद राबड़ी देवी को।

तेज प्रताप का बंगला अब मंत्री जी का हुआ

लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को अब अपना 26-एम स्ट्रैंड रोड वाला सरकारी बंगला खाली करना होगा। असल में, नियम के मुताबिक सरकारी आवास विधायकों या मंत्रियों को मिलता है। 2025 के चुनाव में तेज प्रताप यादव ने अपनी पुरानी सीट 'महुआ' से किस्मत आजमाई थी, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया और वो चुनाव हार गए।

विधायक न रहने की वजह से अब उनसे यह बंगला वापस लिया जा रहा है। सरकार ने यह बंगला अब एनडीए सरकार के मंत्री लखेंद्र कुमार रोशन को आवंटित कर दिया है। यानी जिस घर में कल तक 'तेज भइया' का दरबार लगता था, अब वहां मंत्री जी की नेमप्लेट लगेगी।

20 साल पुराना पता बदलेगा: 10, सर्कुलर रोड अब नहीं रहेगा ठिकाना

सबसे बड़ी खबर तो यह है कि राबड़ी देवी (Rabri Devi) को भी पटना का मशहूर '10 सर्कुलर रोड' वाला आवास खाली करने का नोटिस मिल गया है। यह सिर्फ एक मकान नहीं था, बल्कि पिछले 20 सालों से बिहार की राजनीति का पावर सेंटर था। साल 2006 से लालू परिवार यहीं रह रहा था। लालू यादव और राबड़ी देवी के साथ पूरा परिवार यहीं हंसी-खुशी रहता था। इसी घर से आरजेडी के बड़े-बड़े फैसले लिए जाते थे।

भवन निर्माण विभाग ने नोटिस भेज दिया है। हालांकि, राबड़ी देवी विधान परिषद की सदस्य हैं और नेता विरोधी दल भी, इसलिए उन्हें सरकार ने रहने के लिए दूसरी जगह दी है। अब उनका नया पता 'आवास संख्या 39, हार्डिंग रोड' होगा। लेकिन 20 साल पुराने घर से जुड़ी यादें छोड़ना किसी के लिए भी आसान नहीं होता।

घर और परिवार, दोनों से दूर हुए तेज प्रताप?

तेज प्रताप यादव के लिए यह दौर काफी मुश्किलों भरा रहा है। खबरों की मानें तो 'अनुष्का यादव प्रकरण' और पारिवारिक कलह के बाद लालू यादव ने उन्हें परिवार और पार्टी, दोनों से किनारे कर दिया था। गुस्से में या बागी होकर तेज प्रताप ने अपनी अलग पार्टी बनाई और उसी के बैनर तले चुनाव लड़ा। नतीजा यह हुआ कि उन्हें करारी हार मिली।

एक तरफ पिता और परिवार से दूरी, दूसरी तरफ चुनाव में हार और अब सर से सरकारी छत का भी जाना—तेज प्रताप के राजनीतिक करियर का यह शायद सबसे बुरा दौर है।

फिलहाल, 10 सर्कुलर रोड का खाली होना बिहार की राजनीति में एक युग के अंत जैसा देखा जा रहा है।