लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार कामगारों पर, सिर्फ अप्रैल माह में 11.4 करोड़ लोगों की गई नौकरियां

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विगत दो महीने से अधिक समय से कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन है। इस महामारी की वजह से नित्य नई नई मसीबते पैदा हो रही हैं। बेरोजगारी संकट भयावह हो चूका है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड (सीएमआईई) के मुताबिक देश में सिर्फ अप्रैल माह में ही लगभग 11.4 करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं। 1.8 करोड़ छोटे व्यवसाई भी सड़क पर आ गए हैं। लॉकडाउन की सबसे अधिक मार कामगारों पर पड़ी है।

जानकारी के मुताबिक ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री करीब 3.7 करोड़ लोगों को रोजगार देती है। कोरोना संकट के चलते ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में 22-35 फीसदी की डीग्रोथ की आशंका है। इसका सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा। इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार 25 फीसदी तक नौकरियां कम हो सकती हैं। कुछ ऐसी ही स्थितियां पर्यटन और चिकित्सा क्षेत्र में भी नजर आ रहा है। इसी तरह रेस्टोरेंट इंडस्ट्री में भी करीब 20 लाख नौकरियां जा सकती है। इसी तरह इवेंट इंडस्ट्री में करीब एक करोड़ लोग और मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में 50 लाख लोग काम करते हैं। ये क्षेत्र भी कोरोना संकट से जूझ रहे हैं।

इस दौरान अचंभित करने वाली बात बड़ी तादाद में बिजनेस कैटेगरी के लोगों का बेरोजगारों में शामिल होना है। सीएमआईई के मुताबिक कोई व्यवसाई तभी अपने को बेरोजगार घोषित करता है, जब उसे लगता है कि उसका व्यवसाय अब रिकवर नहीं हो सकता है और वह पूरी तरह तबाह हो गया है। सर्वे से सामने आया है कि करीब 1.8 करोड़ लोग पिछले कुछ दिनों में बेरोजगार हुए हैं।

देश में उद्योग-व्यापार उस स्थिति में पहुँच गया है कि लॉकडाउन पूरी तरह से खुलने के बाद भी कामगारों के लिए दोबारा काम पाना आसान नहीं होगा। क्योंकि पिछले तीन साल से संगठित क्षेत्र में काम के अवसरों में ठहराव बना हुआ है। वर्तमान में स्थिति और भी भयावह हो चुकी है। इसी तरह असंगठित क्षेत्र में गति आने में अभी ज्यादा समय लगेगा। इन हालातों में देश-समाज को कठिन दौर से गुजरना होगा।

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