Up kiran,Digital Desk : जालंधर के पारस एस्टेट से जुड़ी एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। अभी लोग 13 साल की मासूम बच्ची की बेरहमी से हुई हत्या के सदमे से उभरे भी नहीं थे कि अब खाकी वर्दी पर ही गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
इस मामले में एक हैरान कर देने वाला मोड़ तब आया जब पीड़िता की मां ने पुलिस के बड़े अधिकारियों पर ही धमकाने और भद्दी बातें करने का आरोप लगा दिया। यह कहानी अब सिर्फ एक कत्ल की नहीं, बल्कि 'इंसाफ बनाम पुलिस के रवैये' की बन गई है।
मां का दर्द: "मेरी बच्ची का मजाक उड़ाया, हमें डराया"
जरा सोचिए उस मां पर क्या गुजर रही होगी, जिसने अपनी बेटी खो दी और जब वह इंसाफ मांगने गई तो पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर उसके जख्मों पर नमक छिड़क दिया।
पीड़िता की मां ने सीधे तौर पर एसीपी (ACP) गगनदीप सिंह और रामामंडी थाने के एसएचओ (SHO) मनजिंदर सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मां का कहना है कि इन दोनों अधिकारियों ने मदद करने की बजाय पूरे परिवार को डराया।
आरोप क्या हैं?
- सरकारी नौकरी का डर: मां के मुताबिक, पुलिस ने धमकी दी कि अगर एएसआई (ASI) मंगत राम और उनकी टीम के खिलाफ कोई शिकायत की, तो परिवार के उस सदस्य को मुसीबत में डाल देंगे जो सरकारी नौकरी करता है।
- भद्दा मजाक: आरोप यह भी है कि पुलिस वालों ने मृतक बच्ची का मजाक उड़ाया और बातचीत में बहुत ही खराब शब्दावली (Bad Language) का इस्तेमाल किया।
मां का कहना है, "मुझे उम्मीद कम है कि मुझे इंसाफ मिलेगा क्योंकि जब रक्षक ही ऐसे हैं तो जांच निष्पक्ष कैसे होगी?" उन्होंने इस मामले की शिकायत सीपी धनप्रीत कौर, गवर्नर, मुख्यमंत्री और डीजीपी तक से की है। उन्होंने मांग की है कि ऐसे पुलिस वालों को नौकरी से निकाला जाए।
वीडियो ने खोली पोल: लोग रो रहे थे, पुलिस हंस रही थी
इस मामले में पुलिस की संवेदनहीनता का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। यह वीडियो घटना के दूसरे दिन का बताया जा रहा है। इसमें मोहल्ले की महिलाएं पुलिस से कड़े सवाल पूछ रही हैं— "आपको घर के अंदर बच्ची कैसे नहीं मिली? आम लोगों ने उसे ढूंढ लिया और पुलिस क्या कर रही थी?"
शर्मनाक बात यह है कि जब महिलाएं गुस्से में ये सवाल पूछ रही थीं, तो वहां खड़े पुलिस कर्मी मुस्कुरा रहे थे। इस हंसी ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है।
पुलिस की सफाई: "हमने सिर्फ कानून समझाया"
वहीं, दूसरी तरफ आरोपों से घिरे एसीपी गगनदीप और एसएचओ मनजिंदर सिंह ने सफाई दी है। उनका कहना है कि परिवार के साथ उनकी पूरी हमदर्दी है। उन्होंने किसी को धमकी नहीं दी, बल्कि वे तो परिवार को कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) समझा रहे थे। अब इस मामले की जांच एडीसीपी सिटी-2 हरिंदर सिंह गिल को सौंपी गई है।
यह मामला बेहद पेचीदा और संवेदनशील हो गया है। एक तरफ मां के आंसू हैं और दूसरी तरफ पुलिस की दलीलें। अब देखना यह है कि क्या इस मां को अपनी बेटी के लिए इंसाफ मिलेगा, या फाइलों में पुलिस की मनमानी दब जाएगी।
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